राजस्थान: अब लोकसभा चुनावों के बाद ही सरकारी नियुक्तियां करेगी कांग्रेस

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जयपुर। प्रदेश में सत्ता संभालने के चौथे ही दिन भले ही कांग्रेस ने भाजपा सरकार की ओर से की गई राजनीतिक नियुक्तियों को रद्‌द कर दिया, लेकिन अब राज्य और जिला स्तरीय आयोगों, निगमों, बोर्ड, समितियों और मंडलों में नए सिरे से तैनाती लोकसभा चुनाव से पहले नहीं होगी।
कांग्रेस सरकार और संगठन का मानना है कि इससे पहले राजनीतिक नियुक्तियां करने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। पार्टी का मानना है कि जिन नेताओं को नियुक्तियां नहीं मिलेंगी, वे लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ काम कर सकते हैं।
प्रदेश के विभिन्न बोर्ड, नियम, आयोगों, प्राधिकरणों और निकायों में करीब 10,000 राजनीतिक पद हैं। इन पर नियुक्तियां हर सरकार के स्तर पर की जाती हैं। विधानसभा चुनाव में हार चुके कई नेता राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए जयपुर से लेकर दिल्ली चक्कर लगा रहे हैं।
विधानसभा में उपाध्यक्ष और संसदीय सचिव बनाने का फैसला भी कांग्रेस सरकार और संगठन की ओर से लोकसभा चुनाव बाद ही किया जाएगा। इस दौरान विधायकों का प्रदर्शन भी सामने आ जाएगा।
उसके आधार पर सरकार और पार्टी के लिए आंकलन करना भी आसान होगा। पिछली भाजपा सरकार में भी उपाध्यक्ष व संसदीय सचिव बाद में चुने गए थे।
इन निगम, बोर्ड व आयोगों में होती हैं राजनीतिक नियुक्तियां
किसान आयोग, राज्य बीज निगम, व्यापारिक कल्याण बोर्ड, राज्य महिला आयोग, एससी-एसटी निगम, सार्वजनिक प्रन्यास मंडल, राज्य पशुपालक कल्याण बोर्ड, राजस्थान युवा बोर्ड, राज्य किसान आयोग, अंतरराज्यीय जल विवाद निवारण आयोग, राजस्थान राज्य धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण,
नदी जल बेसिन प्राधिकरण, भामाशाह प्राधिकरण, देवनारायण बोर्ड, बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, कला एवं संस्कृति विभाग में एक दर्जन से अधिक अकादमी है। इसके अलावा स्थानीय निकायों, न्यास, प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियां होती है।

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