सहसवान l पिछले वर्ष सितंबर-अक्टूबर माह में गायों को पकड़ने एवं उनके लिए गौ-शाला बनाने के लिए क्षेत्र के लोगों ने बड़ा आंदोलन किया था। आंदोलन को देख स्थानीय प्रशासन ने घूम रही आवारा गायों के लिए नगर में गौ-शाला बनाने के लिए लोगों को आश्वासन दिया तब जाकर क्षेत्र के किसान शांत हुए थे। खासबात यह कि आश्वासन के बाद भी नगर में गायों के लिए गौ-शाला नहीं बनाई गई। वहीं हिंदू धर्म में माता का दर्जा होने वाली गायों की दुर्दशा हो रही है। खाने व पीने तक के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। किसानों को रात-रातभर जागकर फसलों की रखवाली करनी पढ़ रही है
बता दें कि इन दिनों सर्वाधिक दुर्दशा गायों की हो रही है। कस्बे मे जिस तरफ देखो गायों के झुंड के झुंड आवारा रूप से विचरण करतीं नजर आ रहीं हैं।
यह मामला तहसील सहसवान के गढी इब्राहिम का है ग्रामीणों ने बताया कि गाय की मौत होने के बाद उसके सबको कुत्ते नोच रहे हैं और क्षेत्र में भारी दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है इसकी शिकायत प्रधान अमरावती और प्रधान पति रामचंद्र से कही गई कि उसे गड्ढे में दफन करा दिया जाए लेकिन उन्होंने ग्रामीणों की एक न सुनी इसके बाद ग्रामीणों ने वीडियो सहसवान को भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका भी फोन नहीं उठा प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और गायों की दुर्दशा लगातार हो रही है और ग्रामीण क्षेत्र में इससे बीमारी फैलने का भी खतरा बना हुआ है प्रशासन बेखबर है पैदल चलने वाले लोगों के लिए मुसीबत बनी हुईं हैं। इसके अलावा आवारा गाय सड़कों पर दुर्घटना की शिकार हो रही हैं। हमारा हिंदू समाज गाय को पूजनीय मानता है। गाय को हमारे हिंदू समाज में माता का दर्जा प्राप्त है। फिर आज गाय की इतनी दुर्दशा हो रही है। जिसकी हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। गाय को रखने वाले लोग स्वार्थी हो गए हैं जब तक गाय दूध देती है। तब तक तो लोग उसे अपने पास रखते हैं और उसके बाद उसका दूध निकाल कर सड़कों पर आवारा रूप से छोड़ देते हैं।
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