जिलाधिकारी कार्यालय सभागार मे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ विषय पर आयोजित हुई कार्यशाला

पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों पर भी हुई चर्चा

लखनऊ। राजधानी के जिलाधिकारी के निर्देश पर जिलाधिकारी कार्यालय सभागार मे “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के प्रावधान के बेहतर परिणाम पर विस्तार से चर्चा की “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ” सरकार द्वारा महिला कल्याण विभाग की ओर से संचालित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल ने गर्भ में लिंग की पहचान करने वाले कानूनों के कढ़ाई से पालन किए जाने की बात कही अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डां आर के चौधरी ने बताया कि समाज में बालक – बालिकाओं में किए जाने वाले भेद का परिणाम भ्रूण हत्या है। सरकार भ्रूण हत्या रोकने के लिये गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम,1994 लागू किया है। इस अधिनियम के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है।
साथ ही www.pyaribitia.com पर अल्ट्रासाउंड केंद्र द्वारा फॉर्म-एफ भरकर अपलोड किया जाता है। इसमें अल्ट्रासाउंड करने और करवाने वाले का सारा विवरण होता है और एक पंजीकरण नंबर भी होता है। इस माध्यम से अल्ट्रासाउंड करवाने के उद्देश्य का भी पता चलता है ।
पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डां के डी मिश्रा ने कहा बेहतर भविष्य के लिये बालिकाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है तभी एक स्वस्थ समाज बन सकता है। सरकार की ओर से चल रही “मुखबिर योजना’ से जुड़कर लिंग चयन भ्रूण हत्या अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियो संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज मे सरकार से सहायता प्राप्त की जा सकती है।
रेडियोलॉजिस्ट डा पी के श्रीवास्तवने कहा- लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानो नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है। ऐसा गैर कानूनी कार्य करवाने वाले व्यक्ति को पांच वर्ष का कारावास एवं एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है तथा ऐसा गैर कानूनी करने वाले को पांच वर्ष का कारावास एवं 50 हजार तक का जुर्माना हो सकता है। एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशियेटिव्स (आली) की प्रतिनिधि रेनू मिश्रा ने एक्ट के कानूनी पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यशाला के अंत में जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यशाला मेंं उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डां मिलिंद वर्धन, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) व बाल महिला चिकित्सालय (बीएमसी) व स्त्री रोग विशेषज्ञ व रेडियोलाजिस्ट, पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम के जिला समन्वयक शादाब, वन स्टॉप सेंटर की अध्यक्ष अर्चना सिंह, वर्तिका शुक्ला, जिला सलाहकार समिति की सदस्य मधुबाला तथा एडवोकेट प्रदीप मिश्रा निजी संस्थानों के रेडियोलॉजिस्ट भी उपस्थित रहे।

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