उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का आदेश : सेल्फी लेकर दर्ज करवानी होगी सभी डॉक्टरों को अपनी उपस्थिति

सूबे के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने जब से विभाग संभाला है तब से वह कुछ नया करने में लगे है l नए आदेश के मुताबिक प्रदेश और कानपुर मंडल के सभी डॉक्टरों को अपनी उपस्थिति सेल्फी लेकर दर्ज करवानी होगी l इस पर अमल शुरू हो गया है। प्रदेश में कोई भी मरीज अब उप मुख्यमंत्री को सीधे ट्विटर या सोशल मीडिया के माध्यम से टैग करते हुए डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों में हो रही लापरवाही की शिकायत दर्ज करा सकते है।
इसी क्रम में कानपुर मंडल के अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ जीके मिश्रा ने सभी डॉक्टरों की उपस्थिति के लिए काम के वक्त वाट्सऐप पर सेल्फी भेजने के आदेश दिए थे। मंगलवार से यह सभी मेडिकल स्टाफ के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। जो इस नियम का पालन नहीं करेगा उस डॉक्टर का उस दिन अवकाश माना जाएगा। इस नए नियम पर कई डॉक्टरों ने आपत्ति भी जताई है। कई डॉक्टरों का कहना है कि इलाज करते वक्त हम लोग मरीज के साथ सेल्फी लेंगे या इलाज करेंगे।
कई डॉक्टरों ने आपत्ति भी जताई
हैलट, डफरिन, कांशीराम, कार्डियोलॉजी के अलावा कानपुर मंडल में कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, औरैया में जिला अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी आती है इन सभी के लिए अलग-अलग ग्रुप बनाए गए है जो सीधे अपने हेड को ड्यूटी पर पहुंच कर सेल्फी लेते हुए रिपोर्ट करेगा।
इस पर कल्याणपुर सीएचसी में तैनात डॉ अजीत सिंह यादव ने आपत्ति जताते हुए कहा, अगर सीएचसी पहुंचते ही कोई गंभीर मरीज आया तो हम डॉक्टर लोग पहले मरीज के साथ सेल्फी लेंगे या उसका इलाज करेंगे। हैलट में तैनात कई डॉक्टरों ने भी यही कहा। उनका कहना था कि हम लोग अपनी ड्यूटी पूरी तरह निभा रहे है ओपीडी में रोजाना तीन से चार हजार मरीज देखा जाता है, हम लोग उनको हैंडल करेंगे यह सेल्फी लेंगे।
अपर निदेशक डॉ जीके मिश्रा से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, हम लोगों को जैसे आदेश ऊपर से मिले है उनपर हम अमल कर रहे है। साथ ही हमने अपने मंडल के सभी अधिकारियों को इसके बारे में आदेश आते ही सूचित कर दिया गया था और सोमवार से यह प्रक्रिया शुरू भी हो गई है। जिन लोगों ने इसे लागू नहीं किया है उन लोगों के पास मंगलवार तक का समय है। उसके बाद उनकी एब्सेंट लग्न शुरू हो जाएगी।
इलाज जल्द मिल सकेगा
सीएमओ डॉ नेपाल सिंह ने इस बारे में कहा, स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अगर डॉक्टर यह करते है तो इमरजेंसी सेवाओं और ओपीडी में बहुत सुधर आएगा। इससे जो प्रदेश भर का सिस्टम बना है उसमे मरीजों को भी काफी आराम मिलेगा।

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