बंदरों से परेशान सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट – अदालत परिसर में बंदरों को खाना न खिलाने का निकाला सर्कुलर

राष्ट्रिय जजमेंट न्यू न्यू देल्ही 

सम्वाददाता 

दिल्ली | यूं तो दिल्ली के कई इलाके बंदरों से परेशान हैं, अब सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने औपचारिक रूप से इससे निजात पाने की कोशिश शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों के बंगलों से बंदर भगाने के लिए निविदाएं आमंत्रित की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सर्कुलर निकाला है, जिसमें अदालत परिसर में बंदरों को खाना खिलाने की मनाही की गई है। साथ ही सभी ब्लाक की खिड़कियां बंद रखने की बात कही गई है, ताकि बंदर हाई कोर्ट की इमारत में न घुस सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन मार्च को टेंडर आमंत्रित किए थे, जबकि दिल्ली हाई कोर्ट का सर्कुलर चार मार्च का है। सुप्रीम कोर्ट ने वेबसाइट पर टेंडर का विवरण डाला है। इसके मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के बंगलों और गेस्ट हाउस से बंदरों को भगाने के लिए हाउस कीपिंग एजेंसी से मैन पावर उपलब्ध कराने के लिए टेंडर आंमत्रित किए गए हैं।दिल्ली एनसीआर की प्रतिष्ठित हाउस कीपिंग एजेंसी से सीलबंद निविदा आमंत्रित की गई है।

कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट से तीन-चार किलोमीटर की परिधि में न्यायाधीशों के 35-40 रिहायशी बंगले हैं, जहां से बंदरों को भगाना है। शुरुआत में छह महीने के लिए सेवा देने की बात की गई है। सेवा संतोषजनक होने पर ठेके की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। निविदा देने की आखिरी तारीख 24 मार्च को शाम तीन बजे तक है।सुप्रीम कोर्ट के अलावा दिल्ली हाई कोर्ट भी बंदरों से खासा परेशान है। हाई कोर्ट ने चार मार्च को एक सर्कुलर निकाला।

इसमें कहा गया है कि सभी संबंधित लोग यह सुनिश्चित करें कि हाई कोर्ट बिल्डिंग और हाई कोर्ट ब्लाक की कोई भी खिड़की खुली न रहे, ताकि कोई बंदर न घुसने पाए। हाई कोर्ट ने सभी वकीलों, मुकदमा लड़ने वालों और कोर्ट स्टाफ से अनुरोध किया है कि वे अदालत परिसर में बंदरों को खाना न खिलाएं। हाई कोर्ट ने इसका कड़ाई से पालन करने को कहा है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More