नौकरी के नाम पर फ़र्ज़ीवाड़ा करने वाली कम्पनी के मुखिया को एसटीएफ टीम ने धर दबोचा

सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा एसटीएफ ने रविवार को किया था। इस गिरोह के सरगना सहित दो को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में दोनों ने कुबूल किया कि गिरोह का नेटवर्क पूरे प्रदेश में फैला है।
एजेंटों के जरिए वह लोगों को फंसाते है, फिर मोटी रकम वसूल लेते हैं। जिसमें से एजेंटों को 10 से 15 प्रतिशत का कमीशन दिया जाता है। वहीं बाकी की रकम गिरोह के प्रमुख लोगों में भूमिका के आधार पर बांटा जाता है। एसटीएफ की टीम गिरोह से सीधे ताल्लुक रखने वाले 15 लोगों की तलाश कर रही है। इसके लिए कई जगह दबिश दी गई है।
एसटीएफ केप्रभारी एसपी विशाल विक्रम सिंह की विशेष टीम ने रविवार को दो जालसाजों को दबोचा था। पकड़े गये जालसाजों में मूलरूप से बस्ती के परशुरामपुर स्थित गौरामिश्रानी निवासी विनय कुमार मिश्रा व बिहार गोपालगंज का विजय कुमार दुबे शामिल हैं।
दोनों गिरोह बनाकर आयुष मंत्रालय, लखनऊ मेट्रो, एयरपोर्ट अथॉरिटी, लखनऊ नगर निगम, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, आर्मी नर्सिंग जैसे सरकारी विभागों में संविदा पर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करते हैं।
एसटीएफ केप्रभारी एसपी विशाल विक्रम सिंह की विशेष टीम ने रविवार को दो जालसाजों को दबोचा था। पकड़े गये जालसाजों में मूलरूप से बस्ती के परशुरामपुर स्थित गौरामिश्रानी निवासी विनय कुमार मिश्रा व बिहार गोपालगंज का विजय कुमार दुबे शामिल हैं। दोनों गिरोह बनाकर आयुष मंत्रालय, लखनऊ मेट्रो, एयरपोर्ट अथॉरिटी, लखनऊ नगर निगम, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, आर्मी नर्सिंग जैसे सरकारी विभागों में संविदा पर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करते हैं।
इस गिरोह का सरगना विनय कुमार मिश्रा है। जो दो अन्य लोगों सचेंद्र शुक्ला और संजय सिंह के साथ मिलकर कंपनी खोल रखी है। इसी कंपनी की आड़ में यह ठगी का धंधा चल रहा है। एसटीएफ के सामने पूछताछ में दोनों ने कुबूल किया कि उनके गिरोह में कई लोग शामिल हैं। इनकी संख्या 15 से अधिक है। दोनों के गिरफ्तार होने के बाद ही जैसे 15 लोगों के नाम एसटीएफ को मिले तो उनकी कुंडली खंगालनी शुरू कर दी गई। एसटीएफ के मुताबिक इस मामले में लखनऊ के अलावा पूर्वांचल केकुछ जिलों में टीमों ने दबिश दी है। लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है।
एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक विनय कुमार मिश्रा ने लॉक डाउन के दौरान अचानक से लाखों रुपये लगाकर कंपनी खोली। इस कंपनी में उसके दो साझीदार संजय सिंह व सचेंद्र शुक्ला है। जालसाजी के जरिए कमाए गये रकम को तीन हिस्साें में बांटा जाता है। जिसमें विनय मिश्रा व संजय सिंह के हिस्से में 40-40 प्रतिशत और सचेंद्र शुक्ला के 20 प्रतिशत मिलता है। एसटीएफ अब इन दोनों की भी कुंडली खंगाल रही है। ताकि इस फर्जीवाड़ में इन दोनों की भूमिका साफ हो सके।

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