सैकड़ों हजार करोड़ के कर्ज तले दबा उप्र पावर कॉर्पोरेशन
उप्र पावर कॉर्पोरेशन का घाटा पिछले छह साल में 25 हजार करोड़ रुपए बढ़ा है। साल 2016 में जहां कॉर्पोरेशन का घाटा 70738 करोड़ रुपए था, अब वह बढ़कर करीब 95 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ गया है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह दावा किया है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि 14 जनवरी 2000 को राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया था। उसके बाद से लगातार घाटा बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने बताया कि विघटन के समय घाटा 77 करोड़ रुपए था। अब वह घाटा बढ़कर 95 हजार करोड़ रुपए हो गया है।
साल | घाटा |
2000-01 | 77 करोड़ रुपए |
2005-06 | 5439 करोड़ रुपए |
2007-08 | 13162 करोड़ रुपए |
2009-10 | 20104 करोड़ रुपए |
2010-11 | 24025 करोड़ रुपए |
जनवरी 2016 | 70738 करोड़ रुपए |
जनवरी 2022 | 95000 करोड़ रुपए |
अवधेश वर्मा ने कहा कि विघटन के बाद लगातार घाटा बढ़ता जा रहा है। तब कहा गया था कि विघटन फेल होने पर उनकी जबाबदेही तय की जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्तमान में बिजली कम्पनियों के वर्ष वार घाटों पर नजर डालें तो बहुत कुछ स्थिति साफ बया हो रही है।
कम्पनियां बड़े-बड़े दावे भले ही कर लें लेकिन उनका घाटा लगातार बढ़ रहा है। जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पिछले वर्षो में बिजली कम्पनियों का घाटा जब सबसे ज्यादा बढ़ा है उस दौरान बिजली दरों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है।
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