राजधानी की यातायात व्यवस्था सुधारना अधिकारियों को नाको चने चबाना हो रहा है साबित

ट्राफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए जेसीपी द्वारा दिये गये 8 बिन्दुओं मे किसी एक भी बिन्दु पर क्या हो रहा है

लखनऊ। राजधानी मे यातायात व्यवस्था सुधारने के सभी दावे खोखले होते नजर आ रहे है। यहां शहर की सडकों के पर दिन- दोपहर दोपहिया और चारपहिया वाहनों के खडे होने से राहगीरों का पैदल राह चलना भी दूभर हो गया।

राजधानी की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए जे.सी.पी पियूष मोर्डिया ने एक मीटिंग भी कुछ दिनो पहले आयोजित की थी। उस मीटिंग में डीसीपी ट्रैफिक, एडीसीपी ट्रैफिक व एसीपी ट्रैफिक सभी मौजूद थे। उस मीटिंग में जेसीपी ने राजधानी की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिये 8 बिन्दुओ पर चर्चा हुई थी। लेकिन उस मीटिंग में चर्चा के बाद सुधार होना तो दूर रहा। बल्कि शहर के हालात भीषण-जाम से बद से बदतर ही होते नजर आ रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार यहां चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान बाहर से आ रहे वाहनों की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते है। और उन वाहनों से अवैध कमाई का गोरखधंधा भी खूब फल -फूल रहा है। ट्राफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए क्या जेसीपी द्वारा दिये गये 8 बिन्दुओं मे किसी एक भी बिन्दु पर कार्य हो रहा है।

राजधानी के आलमबाग चौराहा, बाराबिरवा नहर अवध चौराहा, राजाजीपुरम, चारबाग, बाजारखाला, हैदरगंज चौराहा, नाका, लाटूश रोड, अमीनाबाद, हीवेट रोड, चौक, मेडिकल कालेज, रकाबगंज, नक्खास समेत आदि क्षेत्रो तो ऐसे लगते है जैसे कोई पुलिस प्रशासन या ट्रैफिक पुलिस नाम की चीज है ही नहीं लेकिन ट्रैफिक पुलिस या पुलिस भी क्या करे ? चौराहे या रास्तों पर बेपरवाह सडकों पर खडे दोपहिया, चौपहिया वाहन खड़ा करने वाले कोई आम आदमी नहीं होते है।

सडकों के किनारे फुटपात पर खड़े खड़े वाहन को अगर पुलिसकर्मी हटाने को कहता है तो वाहन स्वामी तत्काल मो० फोन मिलाकर किसी अधिकारी, नेता, मंत्री या रसूखदार से बात करवा देता है। जिससे वाहन हटवाने वाला पुलिसकर्मी चुपचाप चला जाता है। ऐसे मे जाम हटवाने के लिये आम-जनता को स्वयं भी जागरूक होना चाहिए। क्योंकि ट्रैफिक पुलिस या पुलिस के भरोसे मात्र से कुछ नहीं होने वाला है।

ए,के,दुबे

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