राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कितनी आसानी से भ्रष्टाचार के आरोपों से किनारा कर रहे हैं

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने  बताया है कि। क्रय और विक्रय का कार्य आपसी सहमति और संवाद के आधार पर हो रहा है। सहमति के बाद सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किए जाते हैं। सभी प्रकार की कोर्ट फीस व स्टांप पेपर की खरीदारी ऑनलाइन की जाती है। 9 नवंबर को श्री रामजन्म भूमि के पक्ष में फैसला आने के बाद एकाएक बड़ी संख्या में लोग अयोध्या जमीनों की खरीदारी करने के लिए आने लगे।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के विकास के लिए बड़ी मात्रा में जमीन खरीद रही है। इसके चलते अयोध्या में जमीनों के दाम अचानक बढ़ गए। जिस भूखंड को लेकर भ्रामक चर्चा चलाई जा रही है। वह रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अब तक जितनी भूमि क्रय की है वह खुले बाजार मूल्य से बहुत ही कम पर खरीदी है।

उक्त भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेता गणों ने वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबंध किया था। उस भूमि को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया। उसके बाद ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया। जो कुछ राजनीतिक लोग इस संबंध में प्रचार कर रहे हैं, वह भ्रामक है, समाज को गुमराह करने के लिए है। संबंधित व्यक्ति राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित है

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कितनी सफाई से मूल आरोपों को किनारे करके इधर उधर की कहानी मीडिया को बता रहे हैं उन्होंने अपने जवाब में एक भी बार यह नहीं बताया कि दो करोड़ की जमीन 10 मिनट में 18.5 करोड़ की कैसे हो गई

दूसरों पर आरोप लगाने के बजाय उनको इस बात का जवाब देना चाहिए सरकार को भी चाहिए कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएं ताक हिंदुस्तान के करोड़ों आस्थावान लोगों की आस्था को आघात न पहुंचेउनको यह भी बताना चाहिए कि मीडिया में दिखाए गए दस्तावेज यदि असली हैं तो तो जमीन खरीद मामले में घोटाला फर्जी कैसे हो गया

दूसरों को आरोप लगाने वाला बताकर खुद पाक साफ कैसे हो गए उनसे किसी ने यह सवाल जवाब नहीं किया कि आपने मंदिर के लिए जमीन क्यों खरीदी या किससे खरीदी सवाल यह है कि दो करोड़ की जमीन आपने 10 मिनट में 18.5 करोड़ में क्यों खरीद ली इसका जवाब देना चाहिए न कि इधर-उधर के आरोप-प्रत्यारोप लगाने चाहिए

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