कोरोना कहर के आने से दिखी सरकार की नाकामी

इस बार ‘जश्न’ नहीं ‘सेवा’ दिवस है। NDA सरकार के सात साल पूरे होने के मौके पर BJP ने कोरोना संकट की वजह से जश्न नहीं मनाने का फैसला किया है।सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे या घोषणापत्र की ज्यादातर बातों को पूरा करने की कोशिश की है, लेकिन खास तौर से पिछले एक साल से कोरोना संकट में मोदी सरकार को लेकर बहुत सवाल खड़े हुए हैं।

BJP का सबसे बड़ा ऐसा राजनीतिक मुद्दा,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में शिलापूजन करके अपने सिर पर बांध लिया।

‘आर्टिकल 370’ के अस्थायी प्रावधान को हटाने में करीब 70 साल लग गए। संसद में आर्टिकल 370 हटाने का बिल पास करके मोदी ने न केवल BJP बल्कि देश के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ी जगह बना ली।

1 मई 2016 को मोदी ने उत्तरप्रदेश के बलिया शहर में उज्ज्वला योजना की शुरुआत की.इस योजना ने मोदी सरकार की 2019 में दमदार वापसी में अहम भूमिका निभाई।

नाकाम मुद्दों

कोरोना

देश कोरोना की गिरफ्त में आ गया| लोगों की जिंदगी थम सी गई। सड़कों पर हजारों, फिर लाखों की तादाद में प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने लगे।फिर लॉकडाउन खोलते हुए मोदी ने कहा कि ‘जान भी, जहान भी, तो लगा कि जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है।तभी कोरोना की दूसरी लहर बड़ी तबाही के साथ आई। देश की स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी प्रबंधन की पोल खुल गई। बेबस लोग और लापरवाह सरकार। जब वैक्सीन लगाने की बात आई तो दुनिया भर में मित्रता के नाम पर वैक्सीन की 6 करोड़ डोज भेज दी गईं, लेकिन देश में लोगों के लिए कम पड़ गई। सरकारें लाशों और मरीजों के आंकड़े दबाकर अपनी नाकामी छिपाती रही।सरकार के मुताबिक भी करीब पौने तीन करोड़ लोग संक्रमित हुए और तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान गई।

अर्थशास्त्र का उल्टा पहिया

कालेधन को खत्म करने के जुमले के साथ 2014 में आई मोदी सरकार ने नवम्बर 2016 में अचानक एक रात नोटबंदी का ऐलान कर दिया। कहा गया कि इससे काले धन पर रोक लगेगी और अर्थ व्यवस्था सुधरेगी। हुआ उल्टा, छोटे शहरों में चलने वाले काम-धंधे बंद हो गए। ना भ्रष्टाचार खत्म हुआ और ना आतंकवाद। साल 2016 में आर्थिक विकास दर 8.25% थी वो 2017 में 7.04%, 2018 में 6.11% और 2019 में 4.18% पर पहुंच गई। GDP में भारत 147वें स्थान पर है जो 2016 में 125वें स्थान पर था, यानी हिन्दुस्तानी अब पहले से ज्यादा गरीब हो गए हैं।

पड़ोसी देश

आज हालात उलट हैं। पड़ोसी पाकिस्तान से बातचीत बंद है। बांग्लादेश हर हाल में हमसे आगे है। नेपाल आंखें दिखा रहा है और चीन, वो आपकी नहीं सुन रहा और अब दक्षिण में कन्याकुमारी से सिर्फ 290 किलोमीटर दूर है चीन हमसे। चैन से सोना है तो जाग जाइए।

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