आगरा : एंबुलेंस नहीं मिली तो कार की छत पर पिता की अर्थी बांध शमसान पहुंचा बेटा

आगरा में कोरोना महामारी कहर बनकर टूट रही है। न संक्रमण थम रहा है और न ही मरीजों की मौत का सिलसिला। प्रशासन के आंकड़े कुछ भी हों, लेकिन श्मशान घाट पर चिताओं की आग नहीं बुझ रही है। ताजगंज श्मशान घाट पर रोज 40 से ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। एक-एक एंबुलेंस में तीन-चार शव लाने पड़ रहे हैं। शनिवार को एंबुलेंस न मिलने के कारण एक युवक अपने पिता के शव को कार के ऊपर बांधकर श्मशान पर पहुंचा।

शनिवार को जयपुर हाउस में रहने वाले मोहित को काफी कोशिशों के बाद भी पिता का शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। जब कोई रास्ता नहीं सूझा, तो मोहित ने पिता के शव को कार के ऊपर बांधा और दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर पहुंचे। अंतिम संस्कार का समय मिलने पर पिता के शव को बेटे ने कार की छत से उतारकर रखा। श्मशान घाट पर अपनों के शव लेकर पहुंचे परिजनों ने जब यह नजारा देखा, तो उनकी आंखें भी नम हो गईं।

ताजगंज शमशान घाट के विद्युत शवदाह गृह की चिमनियां हर रोज बिना रुके 20 घंटे धुआं उगल रही हैं। शनिवार को 50 शव पहुंचे। जैसे-जैसे संख्या बढ़ी, वैसे ही शवों के अंतिम संस्कार की वेटिंग भी बढ़ती गई। शाम होने तक अंतिम संस्कार की वेटिंग छह घंटे तक पहुंच गई। ये हाल तब है, जब शवदाह गृह की चारों भठ्ठियां लगातार जल रही हैं।

विद्युत शवदाह गृह के प्रभारी संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि शवों का आना लगातार जारी है। सुबह से शवों के आने का सिलसिला रात तक बना रहता है। हमारी कोशिश है कि शवों के साथ आए परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए कम से कम इंतजार करना पड़े। शवों के अंतिम संस्कार कराने में लगे सेवक 20-20 घंटे काम कर रहे हैं।

कैलाश मोक्षधाम पर एक दिन में जहां एक या दो शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते थे, वहीं इस समय हर रोज सात से आठ शव आ रहे हैं। मोक्षधाम पर काम करने वाले जसवंत ने बताया कि पिछले दस से पंद्रह दिनों में शवों की संख्या बढ़ी है। इतने शव एक दिन में पहले कभी नहीं आते थे। तीन गुना तक संख्या बढ़ी है। इस समय पूरे दिन से लेकर देर शाम तक शव पहुंच रहे हैं।

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