SC-ST एक्ट के 1243 मुकदमो में 60 केस फर्जी, बिना जांच के ही बेगुनाहों को जेल

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लखनऊ, राजधानी के ही थानों में पिछले पांच साल में (वर्ष 2013 से 2017 के बीच) एससी-एसटी एक्ट के तहत साठ ऐसे फर्जी मुकदमे दर्ज हुए, जिसमें बेगुनाहों को जेल जाना पड़ा। विवेचना में सभी साठ मुकदमे फर्जी मिलने पर बाद में खारिज कर दिए गए।
लेकिन जिन निदरेषों पर कार्रवाई हुई और उन्हें समाज में अपमानित होना पड़ा क्या उनका सम्मान लौटाया जा सकता है। इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी भी पुलिस अधिकारी के पास नहीं है। न्यायपालिका का मूल सिद्धांत है कि सौ गुनहगार भले छूट जाएं, लेकिन एक बेगुनाह को सजा न हो।
एससी एसटी एक्ट में भले अब बिना जांच के एफआइआर दर्ज करने का अध्यादेश हुआ हो लेकिन, राजधानी पुलिस अनिर्मित नियम पर पिछले पांच साल से चल रही है। यही कारण है कि पांच साल में (वर्ष 2013 से 2017 के बीच) 1526 एससी-एसटी एक्ट के तहत मामले दर्ज हुए,
जिसमें 1243 मुकदमे थानों में तहरीर देते ही बिना जांच के दर्ज हो गए। 217 मुकदमे अधिकारियों के आदेश पर और 66 मुकदमे न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुए।
राजधानी के थानों में इस वर्ष एससी-एसटी एक्ट के तहत 414 मुकदमे दर्ज हुए, जिसमें 22 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई।
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मामले की जानकार अधिवक्ता उच्च न्यायालय वंदना पांडेय ने बताया कि संसद से जो नया अध्यादेश हुआ है उसमें फिर से बिना जांच के मुकदमा और गिरफ्तारी का प्राविधान है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा रखी थी।

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