उन्नाव केस: बुआ-भतीजी की हत्या का मामला

आर जे न्यूज़-

उन्नाव जिले में असोहा की घटना के बाद हड़बड़ी में पुलिस ने कई गलतियां की हैं। खुलासे के कुछ घंटों में ही दूसरे आरोपी को बालिग साबित कर जेल भेजने में किरकिरी करा चुकी पुलिस की एक और बड़ी चूक सामने आई है। जिस किशोरी का कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में इलाज चल रहा है, उसे पुलिस ने अपनी लिखापढ़ी में घटना के दूसरे दिन ही 18 तारीख को मृत बता दिया।पिता ने दो किशोरियों के मरने और एक के रेफर किए जाने का जिक्र तहरीर में किया, लेकिन पुलिस ने हत्या और साक्ष्य छिपाने की धारा में रिपोर्ट दर्ज की।

मामला चर्चा में आने के बाद शनिवार को एसपी के निर्देश पर जहर देने की धारा (328) बढ़ाई गई। यदि अस्पताल में भर्ती किशोरी के मामले में पुलिस हत्या के प्रयास की धारा का प्रयोग करती तो किशोरी के जीवित होने का तथ्य भी सामने आ जाता। एक किशोरी के पिता ने घटना के दूसरे दिन 18 फरवरी को असोहा थाना पुलिस को तहरीर दी। इसमें बताया कि 17 फरवरी 2021 को सुबह काम करने गया था। शाम लगभग छह बजे घर पहुंचा तो पत्नी ने बताया कि उसकी व उसके परिवार की तीन बेटियां दोपहर 3 बजे बरसीन (हरा चारा) काटने खेत गईं थीं। अभी तक घर नहीं लौटीं। जिस पर टार्च लेकर वह बच्चियों को ढूंढने लगा।

खोजबीन के दौरान अपने खेत के पास पहुंचा तो देखा कि उसकी व परिवार की तीनों बच्चियां सरसों के खेत में पड़ी थीं। दो बच्चियों के गले में दुपट्टा लिपटा था, जबकि तीसरी वहीं पड़ी थी। तीनों के मुंह से झाग निकल रहा था। उसके शोर मचाने पर गांव के कई लोग आ गए। तीनों को कालूखेड़ा स्थित नर्सिंगहोम ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने देखने से मना कर दिया। जिस पर तीनों को सीएचसी असोहा ले गए। जहां दो किशोरियाें को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि तीसरी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसी तहरीर के आधार पर पुलिस ने 18 फरवरी 2021 को 11:45 बजे अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा 302 व साक्ष्य छिपाने की धारा 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली।

उन्नाव के पूर्व एसपी व सेवानिवृत्त डीआईजी हरीश कुमार ने बताया कि पिता ने तहरीर में दो लड़कियों के गले में दुपट्टा लिपटा होने और तीनों के मुंह से झाग निकलने की बात दर्शाई है। जब पुलिस ने गले में दुपट्टा पड़े होने को आधार बना हत्या की रिपोर्ट दर्ज की तो तीसरी किशोरी के मुंह से झाग निकलने पर हत्या के प्रयास की धारा भी लगानी चाहिए थी।

पुलिस से यहां चूक हुई है। वरिष्ठ अधिवक्ता (क्रिमिनल) कृपाशंकर सिंह ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस ने बड़ी चूक की है। पिता ने जो तहरीर दी है, उसके आधार पर हत्या, साक्ष्य छिपाने के अलावा हत्या के प्रयास व जहर देने की धारा भी लगनी चाहिए। एक बेटी भर्ती है, इसे नजरअंदाज करना ही पुलिस की बड़ी चूक है। एक किशोरी का अभी इलाज चल रहा है, फिर भी पुलिस ने हत्या की धारा लगाई है, इस सवाल पर एसपी आनंद कुलकर्णी ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद धारा बढ़ाई गई है। कहा कि अमूमन 307 (हत्या के प्रयास) के बाद 302 (हत्या) तरमीम होता है।

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