किसान रैली में हिंसा पर मायावती ने जताई आपत्ति, तो वही अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार को ठहराया जिम्मेदार

आर जे न्यूज़

लखनऊ: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान जो हिंसा फैलाई और सड़कों से लेकर लालकिले तक कोहराम मचाया, उसकी चौतरफा निंदा के साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है. हर कोई रैली में हिंसा की निंदा कर रहा है, विपक्षी दल इन हालातों के लिए केन्द्र सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया रहे हैं. बुधवार को हुए इस घटनाक्रम पर यूपी के दो प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं बसपा  की मायावती और सपा  नेता अखिलेश यादव के बयान भी सामने आए हैं. दोनों नेताओं ने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण कर देते हुए केन्द्र सरकार से हठधर्मिता को छोड़ने और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक के बाद एक दो ट्वीट कर लिखा, “देश की राजधानी दिल्ली में कल गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान जो कुछ भी हुआ, वह कतई भी नहीं होना चाहिए था. यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण तथा केन्द्र की सरकार को भी इसे अति-गंभीरता से ज़रूर लेना चाहिए. दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा कि बीएसपी की केन्द्र सरकार से पुनः यह अपील है कि वह तीनों कृषि कानूनों को अविलम्ब वापिस लेकर किसानों के लम्बे अरसे से चल रहे आन्दोलन को खत्म करे ताकि आगे फिर से ऐसी कोई अनहोनी घटना कहीं भी न हो सके.”

मायावती के ट्वीट के बाद अखिलेश यादव का भी एक ट्वीट आया. जिसमें उन्होंने लिखा, “भाजपा सरकार ने जिस प्रकार किसानों को निरंतर उपेक्षित, अपमानित व आरोपित किया है, उसने किसानों के रोष को आक्रोश में बदलने में निर्णायक भूमिका निभायी है. अब जो हालात बने हैं, उनके लिए भाजपा ही कसूरवार है. भाजपा अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी मानते हुए कृषि-क़ानून तुरंत रद्द करे.” दरअसल, समाजवादी पार्टी और बसपा शुरू से ही खुद को किसानों के साथ खड़ा दिखाते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही है. अब गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ अपने तेवर कड़े कर दिए हैं.

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