आगरा की साहित्यकार उषा यादव को पद्मश्री

आर जे न्यूज़

आगरा: गनतंत्र दिवस पर हर साल की भाँति इस साल भी पद्म पुरुष्कार दिए गए। हालांकि इस बार किसी को भारत रत्न नहीं दिया गया है। आगरा की नॉर्थ ईदगाह निवासी साहित्यकार उषा देवी को पद्मश्री सम्मान दिया गया है। उन्हें बाल साहित्य भारती सहित 10 से अधिक प्रमुख सम्मान मिल चुके हैं। पद्म पुरस्कार के लिए चुने जाने पर उन्होंने कहा कि यह उनकी मेहनत का फल मिला है।

आगरा की वरिष्ठ साहित्यकार ऊषा यादव को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। गणतंत्र दिवस पर इसकी घोषणा की गई। उषा यादव कहानी संग्रह ‘टुकड़े-टुकड़े सुख’, ‘सपनों के इंद्रधनुष’ और उपन्यास ‘प्रकाश की ओर’ व ‘आंखों का आकाश’ सहित 100 से ज्यादा किताबें लिख चुकी हैं। बाल साहित्य पर लिखी गई किताबों पर सबसे ज्यादा सराहना मिली।

उषा यादव ने कहा कि मुझे पद्मश्री के लिए चुना गया, बहुत खुश हूं, आनंदित हूं, इसके लिए लंबी साधना की है, साहित्य साधना का फल मिला है। यह एक खुशी है, खुशी तब भी बहुत होती है जब मेरी कविताओं को बच्चे गुनगुनाते हैं और खुश होते हैं। एक और खुशी बचपन में मिली थी, वह थी लिखने की। मैं नौ साल की थी, तब कविताएं लिखना शुरू कर दिया था।

डॉ. उषा यादव ने बताया कि उनके पसंदीदा साहित्यकार प्रेमचंद और शरद जोशी हैं। दोनों की रचनाओं में सादगी है, अपनापन है, जिंदगी की हकीकत है। दोनों की कहानियों के पात्र अपने से लगते हैं। कविता हो या कहानी, इतनी सरल होनी चाहिए कि आम आदमी के दिल में भी उतर जाए।

उषा यादव का जन्म 1948 में कानपुर में हुआ। हिंदी और इतिहास में एमए किया। पीएचडी और डी लिट किया। 1966 में शादी हुई और आगरा आ गईं। दो बेटे और एक बेटी है। तीनों की शादी हो चुकी है। पति राज किशोर सिंह आगरा कॉलेज से प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हैं। वह मथुरा में केएल कॉलेज में प्राचार्य भी रहे। पिता चंद्रपाल सिंह यादव मयंक भी बाल साहित्यकार रहे। उनसे ही लेखन की प्रेरणा मिली।

उपलब्धियां
– उषा यादव केंद्रीय हिंदी संस्थान में प्रोफेसर रहीं। डॉ. भीमराव आंबेडकर की कन्हैयालाल मुंशी हिंदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ में प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुईं।

– उषा यादव सांस्कृति संस्था इंद्रधनुष की अध्यक्ष, प्राच्य शोध संस्थान की सचिव हैं। और भी कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हैं।

– उषा यादव को 1998 में यूपी सरकार से बाल साहित्य भारती, 2004 में भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार सहित 10 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं।

– उषा यादव की टुकड़े-टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, जाने कितने कैक्टस ( कहानी संग्रह ) , अमावस की रात, कितने नीलकंठ, एक और अहल्या ( कविता संग्रह) सहित 100 से ज्यादा किताबें प्रकाशित।

‘नए साहित्यकारों को प्रेरणा मिलेगी’

साहित्यकार डॉ. शशि तिवारी ने कहा कि डॉ. उषा यादव को पद्मश्री मिलना सभी आगरावासियों के लिए गर्व की बात है। यह सभी साहित्यकारों का सम्मान है। इससे नए साहित्यकारों को अच्छा करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।

‘आगरा के साहित्यकार गौरवान्वित
साहित्यकार सर्वज्ञ शेखर ने कहा कि डॉ. उषा यादव को पद्मश्री मिलने से आगरा के साहित्यकार गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। डॉ. उषा की कहानियां, नाटक, कविता संग्रह और बाल साहित्य की रचनाओं को यह सर्वथा उपयुक्त सम्मान है।

विष्णुकांत शर्मा वरिष्ठ संवाददाता आगरा

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More