शाम सुबह नहीं दिखाई दे रहे हैं परिंदे,परिंदों का होता जा रहा अंत, नई पीढ़ी किताबों में देखेगी चित्र

आर जे न्यूज़

भागलपुर(देवरिया) जनपद के दक्षिणी छोर के तरफ बिकास खण्ड भागलपुर क्षेत्र के गांव में शाम ढलते ही सुबह होते ही परिंदों का चहल- पहल दिखाई देता था अब नहीं दिखाई दे रहा है आखिर ये परिंदे कहां चले गए गौरैया चिड़िया की चह,चाहट, कौवे की कर करा हट, कोयल की सुरीली आवाज, चील्ह का जहाजों जैसे आकाश में उड़ना, जटायु के परिवार से जन्मे, गिद्ध प्रजाति का अंत,सुबह शाम आकाश मार्ग से जाते हुए तोतो का झुंड, शाम को पक्षीयों का एक दूसरे गांव से दूसरे गांव को जाता हुआ झुंड , गौरैया चिड़िया की फुर्र फुर्र उड़ान, चुन चुन चुन चुन चह चाहट, शाम को वृक्षों पर बैठे बकुलो का झुंड, खेतों में किसानों के शत्रु किटको खाने वाले बकूले और सारसों का झुंड, सूर्य के अस्त होते समय गांव के बाग, बगीचों में पक्षियों की गुनगुन नाहट, और प्रात होते ही एक दूसरे गांव के लिए उड़ान भरते हुए झुंड,चील, खंजन पक्षी जो शरद ऋतु आती थी वह नहीं दिखाई दे रही है|

जिसको देखने मात्र से शुभ माना जाता था, नीलकंठ, मैंनी चिड़िया, कठफोड़वा इन सभी परिंदों का क्षेत्र में हो गया है लोप, इन परिंदों पर सरकार द्वारा नहीं हो रहा परिंदों के संरक्षण की व्यवस्था आने वाली नई पीढ़ी केवल किताबों में चित्र देखकर परिंदों की पहचान कर पाएगी, ज़ब की परिंदों के संरक्षण मेंइ परिंदों को जगह जगह सरकार द्वारा जलासय की व्यवस्था किया जाना चाहिए, खाने-पीने का इंतजाम किया जाना चाहिए, पशुओं के लिए पशु आश्रय केंद्र बनाकर जगह-जगह खाने का इंतजाम किया जाता है इन परिंदों पर सरकार की नहीं है कोई नजर लुप्त होती जा रही है परिंदों की प्रजातियां l

शिवप्रताप कुशवाहा संवाददाता

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