बीट प्रभारी की मिलीभगत से ठेकेदारों ने कांटे सागौन के 24 पेड़, अभी तक नहींं हुई कार्यवाही

अमानीगंज | सरकार भले ही पर्यावरण संरक्षण के नाम पर करोड़ों का बजट खर्च करती हो, लेकिन उनके ही रक्षक हरियाली मिटाने में लगे हुए हैं। वन विभाग के उच्च अधिकारी चाहे जितना दावा करें कि अवैध कटान क्षेत्र में नहीं होने पाएगा लेकिन चंद पैसों के लिए बेशकीमती प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ों को वन कर्मी कटवाने पर ही तुले हुए हैं।

वन कर्मी अवैध कटान कराने में अपनी अधिक रूचि रख रहे हैं। लकड़ी ठेकेदारों वन कर्मियोंं की मिलीभगत से हरे पेड़ो का कटान करवाते रहते हैं जब अवैध कटान की जानकारी वन विभाग के उच्च अधिकारियों को होती है तो आनन-फानन में वन कर्मी ठेकेदार को बुलाकर काटे गए पेड़ों का जुर्माना वसूल करते हैं।

आपको बताते चलें कि एक पखवारे पूर्व कुमारगंज वन रेंज अंतर्गत खण्डासा थाना क्षेत्र के तुलापुर गांव से बिना परमिट के चौबीस पेड़ सागौन के ठेकेदार काटकर रातों-रात रुदौली ले ही जा रहे थे । कि मुखबिर की सूचना पर खण्डासा पुलिस ने घेराबंदी करते हुए लकड़ी समेत गाड़ी को पकड़ लिया।पुलिस की पूछताछ में ठेकेदार ने बताया कि बीट प्रभारी दीपक शुक्ला को कटान के बारे में जानकारी दी गई थी, पुलिस ने जब वन विभाग के बीट प्रभारी दीपक शुक्ला से जानकारी चाही तो पहले तो उन्होंने कटान के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की मामला बढ़ता देख बीट प्रभारी दीपक शुक्ला आनन-फानन में तुलापुर गांव पहुंचकर दो ट्राली सागौन की लकड़ी रेंज कार्यालय लाकर पूरे मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी।

उच्च अधिकारियों का तेवर देख बीट प्रभारी लकड़ी ठेकेदार को बुलाकर जुर्माना जमा करने को कहा लेकिन ठेकेदार जुर्माना जमा करने में पहले तो कतराता रहा लेकिन बीट प्रभारी के काफी मान मनोवल के बाद ठेकेदार ने जुर्माना जमा किया।

अवैध कटान के संबंध में समाचार पत्रों ने खबर को प्रमुखता सेे छापी तो प्रभागीय वन अधिकारी अयोध्या मनोज कुमार खरे ने उप वन क्षेत्राधिकारी कुमारगंज राजेश कुमार यादव को जांच करने का निर्देश दिया, बुधवार को जांच अधिकारी सेेेे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को बहुत जल्द भेज दी जाएगी। अब देखना है कि बीट प्रभारी दीपक शुक्ला के खिलाफ प्रभागीय वन अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं। अवैध कटान को लेकर बीट प्रभारी दीपक शुक्ला दो बार पूर्व मेंं भी निलंबित हो चुके हैं।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More