यूरिया लेने के लिए जुटी किसानों की भारी भीड़, कोरोना गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां

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  • किसानों को नहीं मिल पा रहा है यूरिया किसान धूप में बैठने को है मजबूर

  • ठंड में सुबह 4 बजे से लगना पड़ रहा लाइनों में

गौरझामर रबी सीजन की बोवनी के बाद किसानों को यूरिया खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है। किसानों को जैसे ही सूचना मिली की गोदाम में यूरिया खाद आ गया है तो किसान गोदाम में यूरिया लेने के लिए सुबह 4 बजे से हजारों की भीड़ पहुंच गई. इस दौरान लोगों ने कोविड-19 के नियमों को ताक पर रखकर, बगैर सोशल डिस्टेंसिंग व बगैर मार्क्स के , एक के उपर एक सट कर कतार में खड़े हो गए मगर किसानों को कोरोनावायरस जैसी महामारी का खतरा का भी डर नहीं दिख रहा है किसानों को फसलों के लिए यूरिया खाद की आवश्यकता है

लेकिन गौरझामर स्थिति राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित भंडार गौरझामर द्वारा किसानों के लिए यूरिया खाद नहीं मिल पाने से लोग हो रहे हैं परेशान जहां पर देवरी, केसली ,गौरझामर इन सभी जगह के किसान खाद भंडार गोदाम पर पहुंच रहे हैं हफ्ते में दो-तीन दिन ही गोदाम खोलने से किसानों परेशान हो रहा है सोमवार को किसान सुबह 4 बजे से ठंड में। खड़े हो कर अपनी बारी का इंतजार करने लगे. किसानों को खाद के लिए काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है एक तरफ हमारे मुख्यमंत्री इन किसानों को अन्नदाता कहते हैं और वह अन्य दाता एक तो खेत में परेशान होना पड़ता है वही अन्य बीज, खाद के लिए लंबी लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है तब जाकर फसल को पैदा कर पाता है उसके बाद भी फसल का सही दाम ना मिलने से किसान परेशान है एक तरफ पूरे भारत में किसान सड़कों पर उतरा है वही गौरझामर में भी खाद के लिए रोड ऊपर बैठने को मजबूर है

जब इस संबंध में नायब तहसीलदार सुजाता विश्वकर्मा से कुछ किसानों ने कहा कि बाजार में 300 से ₹400 में दुकानदार यूरिया खाद बेच रहे हैं तब उन्होंने कहा कि चलो देखते हैं आखिरकार जब प्रशासन के आला अधिकारी ही पल्ला झाड़ लेते हैं तो किसान आखिर जाए तो कहां जाए

किसान संघ के जिला अध्यक्ष जितेंद्र जैन ने बताया कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया नहीं मिल पा रहा है और यूरिया के लिए अब तो हफ्तों भटकना पड़ रहा है तब जाकर कुछ खाद की बोरी मिल पा रही है वह भी फसल के लिए पर्याप्त नहीं है और दुकान पर जो यूरिया आ रहा है वह महंगे दामों पर बेच रहे हैं वही इस कोरोनावायरस मैं भी प्रशासन गोदाम के बाहर मार्क्स और सोशल डिस्टेंस का प्रयोग कराने में नाकाम सी दिख रही।

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