किसान आंदोलन के समर्थन में भारत बंद का जानिए कितना असर हुआ

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समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ किसान नेताओं को मुलाक़ात करने के लिए बुलाया है.भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता रमेश टिकैत ने कहा कि अमित शाह के साथ शाम सात बजे उन लोगों की बैठक है.टिकैत ने कहा कि पहले वह सिंघु बॉर्डर जा रहे हैं और फिर वहां से कुछ किसान नेताओं के साथ अमित शाह से मिलने जाएंगे.

रमेश टिकैत और यूपी के किसान पिछले कुछ दिनों से ग़ाज़ीपुर के पास यूपी-दिल्ली सीमा पर बैठे हुए हैं. उनका कहना है कि वह सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर बैठे पंजाब-हरियाणा के किसानों के समर्थन में हैं.किसानों के भारत बंद के समर्थन में वाराणसी में दर्जनों स्थानों पर प्रदर्शन हुए हैं.किसानों के समर्थन में रैली निकालने की योजना बनाने के आरोप में सैकड़ों लोगों को उनके घरों में नज़रबंद किया गया है और क़रीब चार दर्जन से ज़्यादा लोगों को विभिन्न थानों में हिरासत में रखा गया है.

नए कृषि बिल के विरोध में मंगलवार दोपहर टाउनहॉल गांधी प्रतिमा से मलदहिया पटेल प्रतिमा तक पैदल मार्च की तैयारी कर रहे दर्जनों नेताओं को कोतवाली पुलिस ने हिरासत में ले लिया.कोतवाली थाने में हिरासत में रखे गए कुंवर सुरेश सिंह ने बताया कि गांधी की चंपारण और सरदार पटेल की बारदोली किसान यात्रा की तर्ज़ पर वे भी मार्च निकालने की तैयारी कर रहे थे लेकिन पुलिस ने जुलूस में शामिल सभी लोगों को हिरासत में ले लिया.कोतवाली थानाध्यक्ष के मुताबिक़ 13 लोगों को हिरासत में लिया गया है जबकि एक व्यक्ति को नज़रबंद किया गया है.

आंदोलनकारियों के मुताबिक़ ‘इस किसान आंदोलन से पूरा देश जुड़ा है. अन्नदाता संकट में हैं. ऐसे में जब तक काला कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा.’लंका थानाध्यक्ष के मुताबिक़ आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया गया है जबकि पाँच लोग हाउस अरेस्ट हैं.इस प्रकार बनारस के सभी थानों में किसान आंदोलनकारियों को हाउस अरेस्ट और नज़रबंद किया गया है.

इसके बावजूद दर्जनों स्थानों पर प्रदर्शन हुए हैं. मंडियों में स्थानीय छोटे किसानों ने ख़रीद-फ़रोख़्त किया लेकिन बाहर से फल-सब्जियां नहीं आ पाई.अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ भारत बंद का असर सुबह से ही बिहार के अलग-अलग हिस्सों में दिखने लगा.

इस बंद को महागठबंधन के सभी घटक दलों  के अलावा जन अधिकार पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का भी समर्थन है.इसका असर राज्य के लगभग सभी ज़िलों में देखने को मिला. सुबह नौ बजे से पहले ही भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने दरभंगा के लहेरियासराय स्टेशन पर गंगा सागर एक्सप्रेस के परिचालन को बाधित किया. सहरसा, सुपौल ज़िले में भी रेल परिचालन बाधित किया गया.

अररिया में प्रदर्शन के दौरान काँग्रेसी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी हुई.इधर आरा, अरवल में भी बंद समर्थकों ने प्रदर्शन किए तो नालंदा के हिलसा में भी राजद कार्यकर्ताओं ने फतुहा–इस्लामपुर रोड, जहानाबाद में काको मोड़ पर ट्रकों को रोककर प्रदर्शन किया.इसके अलावा एनएच-83 और एनएच-110 को भी जाम कर दिया गया. बांका में भागलपुर–दुमका मुख्य मार्ग, बांका–देवघर मार्ग, बांका–अमरपुर रोड प्रभावित रहे.

ज़िले में मुख्य बाज़ार और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान सुबह तो खुले लेकिन दिन चढ़ने पर बंद समर्थकों की मौजूदगी की वजह से बंद कर दिए गए.पटना की बात करें तो यहाँ सुबह साढ़े 10 बजे के बाद से ही राजधानी के मुख्य चौराहों पर बंद समर्थकों के क़ाफ़िले दिखे.मुख्य प्रदर्शन पटना के डाक बंगला चौराहे पर हुआ जहां वामपंथी दलों के छात्र संगठनों ने गीत गाकर केन्द्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों का विरोध किया.

जाप के पप्पू यादव ने अपने समर्थकों के साथ हल और अन्न की बालियां लेकर प्रदर्शन किया.वहीं डाक बंगला चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे बंद समर्थकों ने सड़क पर लगे बीजेपी और जेडीयू के पोस्टरों को फाड़ दिया.भाकपा माले नेता सरोज चौबे ने डाक बंग्ला चौराहे पर प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए कहा, “ये बिल किसान को ग़ुलाम बनाने वाला और कॉरपोरेट पक्षी है.

जन, जंगल, ज़मीन सब कुछ अडानी-अंबानी को दिया जा रहा है. और ये सिर्फ़ किसानों का नहीं बल्कि सभी नागरिकों का सवाल है.”बिहार राज्य किसान सभा के बैनर तले कई छोटे किसान संगठनों ने इस बंद में हिस्सा लिया.किसान सभा 8 दिसंबर के बंद के अलावा 9 और 10 दिसंबर को भी प्रखंड स्तर पर प्रदर्शन करेगा.सभा के महासचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा, “अगर हमारी माँगे पूरी नहीं हुई तो ये आंदोलन तेज़ होगा. सरकार जब तक क़ानून वापस नहीं लेती हमारा आंदोलन जारी रहेगा.

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