पंजाब : किसान नेताओं के बीचबन रहे संगठन, देश के किसान बना रहे है तरह तरह की योजनाए

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किसानों को मनाने, किसान हितों की रक्षा, उनका भ्रम दूर करने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तीन दिसंबर को किसान संगठनों से बात करेंगे। उनके साथ वाणिज्य और रेलमंत्री पीयूष गोयल भी होंगे…

पंजाब के किसानों के लिए एक तरफ हरियाणा की सीमा पर बैरिकेडिंग और जबरदस्त किलेबंदी है, वहीं दिल्ली की सीमाओं में घुसने से रोकने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने पूरी तैयारी कर रखी है, लेकिन किसान के हौसले इससे और बुलंद नजर आ रहे हैं। पंजाब के किसानों की लड़ाई से केंद्र सरकार के फूलते हाथ-पांव देखकर देश के कई राज्यों के किसान संगठनों ने आंदोलन में शरीक होने का मन बनाना शुरू कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत भी दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद केन्द्रीय एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के किसान भी अगले एक-दो दिन में आंदोलन की घोषणा कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल में पंजाब के किसानों की चर्चा काफी तेज हो गई है। किसान नेताओं के बीच में बढ़ रही हलचल ने भाजपा किसान मोर्चा के नेताओं को तंग करना शुरू कर दिया है। जनता के बीच में किसान विरोधी संदेश जाने से रोकने के लिए केंद्र सरकार और भाजपा ने हर स्तर पर तैयारी तेज कर दी है।`

किसानों को मनाने, किसान हितों की रक्षा, उनका भ्रम दूर करने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तीन दिसंबर को किसान संगठनों से बात करेंगे। उनके साथ वाणिज्य और रेलमंत्री पीयूष गोयल भी होंगे। इससे पहले भी कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से बात की थी, लेकिन ठोस परिणाम नहीं निकला था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का खेती, खलिहानी बहुत प्रिय विषय है। वह पूर्व कृषि मंत्री भी हैं और खेती-खलिहानी के मुद्दे पर यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार की कई बार परेशानी बढ़ा चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनाथ सिंह को किसानों के मामले में तालमेल बिठाने, किसानों की समस्या का समाधान निकालने की पहले से जिम्मेदारी सौंप रखी है। रक्षा मंत्री इसे लेकर कई दौर की बैठक कर चुके हैं। समझा जा रहा है कि उनकी भूमिका अभी और बढ़ने वाली है। वहीं किसान नेता चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह कहते हैं कि किसान दिल्ली तक आंदोलन करने आता है, लेकिन सरकारों की ढिठाई के कारण खाली हाथ लौट जाता है। उसके हाथ में झुनझने के सिवा कुछ नहीं आता। कृषि में इसके चलते न केवल निवेश घट रहा है, बल्कि नई पीढ़ी का किसानी से मन ऊब रहा है। चौधरी का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे को संवेदनशीलता से लेना चाहिए।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खेती-खलिहानी के मुद्दे को लेकर खुद बहुत संवेदनशील रहते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय इसे बखूबी समझता है। सूत्र का कहना है कि पीएमओ किसानों की समस्या पर व्यवहारिक समाधान के लिए लगातार सतर्क रहता है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए हैं।

तीन नए कृषि कानून के बारे में सूत्र का कहना है कि अभी इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है। बस इतना समझ लीजिए कि आने वाले समय में किसानों को इसका अच्छा लाभ मिलेगा। यह कानून सोच-समझकर ही तैयार किया गया है। मंत्रालय के अधिकारी तीन दिसंबर को किसान संगठनों से प्रस्तावित वार्ता का खाका तैयार करने में व्यस्त हैं।

भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर का कहना है कि किसान कांग्रेस पार्टी द्वारा भ्रमित किए जा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का ट्वीट इसका उदाहरण है। कांग्रेस न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में किसानों को भ्रमित कर रही है। पंजाब से आंदोलन के लिए दिल्ली आ रहे किसानों को भ्रमित करके भड़काने में भी उसका हाथ है।

हालांकि चाहर के पास इसका कोई सही जवाब नहीं है कि एनडीए की सहयोगी रही अकाली दल इस मुद्दे पर किसानों के साथ क्यों खड़ी है। वहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे लेकर केन्द्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।

पार्टी के मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि क्या दिल्ली सिर्फ मुट्ठी भर पूंजीपतियों की तिजोरी की रक्षा करने वालों के लिए बनी है? क्या दिल्ली पर किसान का हक नहीं है? आज किसानों से सरकार को इतनी नफरत क्यों है?

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