घरेलू हिंसा 30 से 40 फीसदी मामलों मे पुरुष पत्नियों द्वारा बुरी तरह परेशान, पत्नियाँ देती ये धमकियाँ

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पुरुष प्रधान मानसिकता के चलते महिलाएं सामाजिक भेदभाव का शिकार हो रही हैं। यह सिक्के का एक पहलू है। दूसरा पहलू ये है कि महिलाओं के साथ पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं। परिवार परामर्श केन्द्रों के आंकड़े इसका प्रमाण हैं। कुल शिकायतों में 30 से 40 फीसदी मामले पुरुषों से संबंधित हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाओं को जहां तलाक ही एकमात्र विकल्प लगता है, वहीं पुरुषों का जोर का काउंसलिंग पर है।
लॉकडाउन के दौरान जिस तेजी से महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हुई हैं, उसी तेजी से पुरुष भी प्रभावित हुए हैं। बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर पुरुषों की सामाजिक स्थिति की पड़ताल करती रिपोर्ट…।
लखनऊ निवासी एक युवक की समस्या यह है कि उसकी पत्नी का किसी और के साथ अफेयर है। यह बात उसे लॉकडाउन के दौरान घर पर ज्यादा वक्त बिताने पर पता चली। वह पत्नी को वक्त देने की कोशिश करता रहा, लेकिन पत्नी का व्यवहार नहीं बदला।
मोबाइल पर ज्यादा वक्त देने से मना करने पर झगड़े बढ़ते चले गए। मायके चले जाने की धमकी, सास-ससुर के साथ दुर्व्यवहार बढ़ा तो युवक ने परिवार परामर्श केन्द्र से मदद मांगी। वह अपने माता-पिता, परिवार के सम्मान की खातिर तलाक नहीं बल्कि अपनी शादी-शुदा जिंदगी को मौका देना चाहता है। केंद्र में दोनों की काउंसलिंग शुरू हो गई है।
घर में तोड़-फोड़ आम थी, मायके जाकर बैठ गई पत्नी
परिवार परामर्श केन्द्र में आने वाली एक शिकायत में पति ने आरोप लगाया कि पत्नी उसके माता-पिता को साथ नहीं रखना चाहती है। इसे लेकर अक्सर झगड़े होते हैं। घर में तोड़-फोड़ के साथ कोई काम न करना, हर वक्त ताने मारना, चीखना-चिल्लाना आम बात है। मना किया तो मायके जाने, तलाक और गुजारा भत्ते की मांग। फिलहाल पत्नी मायके में है और लगातार खर्च मांग रही है। युवक सुलह करके उसे घर ले जाना चाहता है।

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