स्मार्ट मीटर पर आने वाला कोई भी खर्च उपभोक्ताओं से नहीं वसूला जाएगा-राज्य विद्युत नियामक आयोग

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राज्य विद्युत नियामक आयोग ने साफ कर दिया है कि स्मार्ट मीटर पर आने वाला कोई भी खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। साथ ही स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की बिजली काटने व जोड़ने के लिए वसूली जाने वाली आरसीडीसी फीस 600 रुपये से कम करके पांच किलोवाट तक 50 रुपये प्रति जॉब व पांच किलोवाट से ऊपर 100 रुपये प्रति जॉब तय कर दी है। इसके अलावा प्रीपेड उपभोक्ताओं से अब आरसीडीसी फीस नहीं वसूल की जाएगी।
नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह, सदस्य केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों की ओर से 2020-21 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता (एआरआर) व टैरिफ प्रस्ताव, स्लैब परिवर्तन व 2018-19 के लिए दाखिल ट्रू-अप (अनुमोदित व वास्तविक खर्च का विवरण) याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए टैरिफ आर्डर जारी किया।
बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 13337 करोड़ रुपये का लाभ देने के मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा है कि जब तक इसका लाभ नहीं दे दिया जाता तब तक इस राशि पर 13-14 प्रतिशत सालाना कैरिंग कास्ट (ब्याज) जोड़ी जाएगी।
65175 करोड़ एआरआर अनुमोदित
नियामक आयोग ने 2020-21 के लिए बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 70792 करोड़ रुपये एआरआर की जगह 65175.21 करोड़ रुपये ही अनुमोदित किया है। ट्रू-अप याचिका में बिजली कंपनियों ने 2018-19 के लिए 71525.75 करोड़ रुपये का दावा किया था, लेकिन आयोग ने 60404.46 करोड़ रुपये ही अनुमोदित किया है।
इसी तरह बिजली कंपनियों ने 17.90 प्रतिशत वितरण लाइन हानियों के आधार पर एआरआर व टैरिफ प्रस्ताव दाखिल किया था, जिसे आयोग ने कम करते हुए मात्र 11.54 प्रतिशत ही अनुमोदित किया है। इससे बिजली कंपनियों पर 2020-21 में फिर उपभोक्ताओं की लगभग 800 करोड़ रुपये की देनदारी निकल रही है।
आयोग ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि बिलिंग व राजस्व वसूली में अक्षमता से होने वाले घाटे को एआरआर में अनुमोदित नहीं किया गया है। इससे ईमानदार उपभोक्ता हतोत्साहित होते हैं और बकायेदारों को बिल जमा न करने के  लिए प्रोत्साहन मिलता है।

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