आज का पंंचाग 29 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 29/08/2020,शनिवार*
एकादशी, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——-एकादशी 08:16:55 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ——-पूर्वाषाढा 13:01:41
योग ——-आयुष्मान 14:49:58
करण ——विष्टि भद्र 08:16:56
करण ————-बव 20:15:52
वार ————————-शनिवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि ———धनु 19:11:49
चन्द्र राशि ——————-मकर
सूर्य राशि ——————–सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:57:56
सूर्यास्त —————–18:41:39
दिन काल ————- 12:43:42
रात्री काल ————-11:16:45
चंद्रोदय —————-16:18:59
चंद्रास्त —————–26:57:33
लग्न —-सिंह 11°59′ , 131°59′
सूर्य नक्षत्र ———————मघा
चन्द्र नक्षत्र —————-पूर्वाषाढा
नक्षत्र पाया ———————ताम्र
*??? पद, चरण ???*
फा —-पूर्वाषाढा 06:53:01
ढा —-पूर्वाषाढा 13:01:41
भे —-उत्तराषाढा 19:11:49
भो —-उत्तराषाढा 25:23:25
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=सिंह 11°52 ‘ मघा , 4 मे
चन्द्र = धनु 22°23 ‘ उ ०षा०’ 3 फा
बुध = सिंह 22°57 ‘ पू oफा o ‘ 3 टी
शुक्र= मिथुन 27°55, पुनर्वसु ‘ 3 हा
मंगल=मेष 03°30’ अश्विनी ‘ 1 चु
गुरु=धनु 23°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 01°20 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 01 ° 20 ‘ मूल , 1 ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 09:09 – 10:44 अशुभ
यम घंटा 13:55 – 15:31 अशुभ
गुली काल 05:58 – 07:33 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 07:40 – 08:31 अशुभ
?चोघडिया, दिन
काल 05:58 – 07:33 अशुभ
शुभ 07:33 – 09:09 शुभ
रोग 09:09 – 10:44 अशुभ
उद्वेग 10:44 – 12:20 अशुभ
चर 12:20 – 13:55 शुभ
लाभ 13:55 – 15:31 शुभ
अमृत 15:31 – 17:06 शुभ
काल 17:06 – 18:42 अशुभ
?चोघडिया, रात
लाभ 18:42 – 20:06 शुभ
उद्वेग 20:06 – 21:31 अशुभ
शुभ 21:31 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:20* शुभ
चर 24:20* – 25:45* शुभ
रोग 25:45* – 27:09* अशुभ
काल 27:09* – 28:34* अशुभ
लाभ 28:34* – 29:58* शुभ
?होरा, दिन
शनि 05:58 – 07:02
बृहस्पति 07:02 – 08:05
मंगल 08:05 – 09:09
सूर्य 09:09 – 10:13
शुक्र 10:13 – 11:16
बुध 11:16 – 12:20
चन्द्र 12:20 – 13:23
शनि 13:23 – 14:27
बृहस्पति 14:27 – 15:31
मंगल 15:31 – 16:34
सूर्य 16:34 – 17:38
शुक्र 17:38 – 18:42
?होरा, रात
बुध 18:42 – 19:38
चन्द्र 19:38 – 20:34
शनि 20:34 – 21:31
बृहस्पति 21:31 – 22:27
मंगल 22:27 – 23:24
सूर्य 23:24 – 24:20
शुक्र 24:20* – 25:16
बुध 25:16* – 26:13
चन्द्र 26:13* – 27:09
शनि 27:09* – 28:06
बृहस्पति 28:06* – 29:02
मंगल 29:02* – 29:58
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
11 + 7 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक,दुःख कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 08:17 तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*?? विशेष जानकारी ??*
*पद्मा एकादशी व्रत (सर्वेषां)
* डोल ग्यारस (झूलन एकादशी)
* वामन जयन्ती (वामन द्वादशी) मध्याने
* श्री गोपालाचार्य पाटोत्सव
* राष्ट्रीय खेल दिवस
*??? शुभ विचार ???*
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च ।
दुःखितै सम्प्रयोगेण पण्डिताेऽप्यवसीदति ।।
।।चा o नी o।।
एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है यदि वह किसी मुर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्य से कर्मबंधनैः ।,
सन्न्यासयोगमुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥,
इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान के अर्पण होते हैं- ऐसे संन्यासयोग से युक्त चित्तवाला तू शुभाशुभ फलरूप कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा और उनसे मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त होगा।, ॥,28॥,

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