पीएम स्वनिधि स्ट्रीट वेंडर योजना का लाभ लेकर बने आत्मनिर्भर

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कटनी. सड़क किनारे ठेले व रेहड़ी-पटरी पर दुकान चलाने वालों से लेकर फल, सब्जी, सैलून व पान की दुकान चलाने वालों के व्यवसाय में वृद्धि के लिए प्रारंभ की गई पीएम स्वनिधि स्ट्रीट वेंडर योजना से लेकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वरोजगार की दूसरी योजनाएं बैंकों की चौखट तक आकर दम तोड़ दे रही हैं।
इन योजनाओं से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मामले में सरकारी विभाग के जिम्मेंदारों का प्रयास भी प्रकरणों की संख्या बढ़ाकर लक्ष्यपूर्ति तक सीमित होकर रह गया है। ऋण स्वीकृति के लिए प्रकरण बैंक भेजने के बाद जरूरतमंद युवाओं को समय पर ऋण दिलाने में बेपरवाही के बाद सवाल यही उठ रहा है कि कहीं आत्मनिर्भर भारत अभियान फाइलों तक ही सीमित होकर न रह जाए।
इसका आकलन ऐसे भी लगा सकते हैं कि पीएम स्वनिधि आत्मनिर्भर वेंडर योजना में 4250 प्रकरण बैंक पहुंचे इसमें महज 697 में ही ऋण स्वीकृत हुआ। मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के 1296 प्रकरण में 137, आचार्य विद्यासागर योजना में 14 में दो और बकरी पालन स्थापना इकाई योजना में 32 में दो। इसके अलावा पशुपालक किसानों को केसीसी देने के लिए 1391 प्रकरणों में 25 में ही केसीसी बनी। इसमें आचार्य विद्यासागर और बकरीपालन स्थापना इकाई की योजना में राज्य सरकार से अनुदान राशि लगभग 40 से 50 हजार रूपये के लिए बजट नहीं होने की बात कहने के बाद स्वीकृत दो-दो प्रकरण भी मूर्त रूप नहीं ले सकी है। दूसरी योजनाओं की कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।
सीडी रेशियो (ऋण-जमा अनुपात) यानी बैंकों में अलग-अलग माध्यम से जितनी राशि जमा हो रही है, उसके अनुपात में कम से कम 60 प्रतिशत राशि ऋण के रूप में स्वीकृत की जानी चाहिए। जानकार बताते हैं कि बैंकों के लिए यह गाइडलाइन भारतीय रिजर्व बैंक ने तय की है। जानकर ताज्जुब होगा कि कटनी के बैकों में यह औसत 47 प्रतिशत है। जाहिर सी बात है बैंक के अधिकारी उपभोक्ताओं से रूपये तो जमा करवा रहे हैं, लेकिन उस अनुपात में ऋण स्वीकृत नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे बैंक कर्मचारियों का सुरक्षित लेन-देन व्यवहार और जोखिम रहित बैंकिग उद्देश्य प्रमुख कारण माना जा रहा है। दूसरी ओर इसका सीधा नुकसान उन युवाओं को हो रहा है जो आर्थिक मदद नहीं मिलने के कारण भविष्य में आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार रूप नहीं दे पा रहे हैं।
इस बारे में कलेक्टर एसबी सिंह बताते हैं कि पीएम स्ट्रीट वेंडर स्वनिधि योजना के प्रकरण तीस अगस्त तक पूरा करने कहा गया है। पशुपालक किसानों को बैंक में पहुंचे सभी प्रकरणों में जल्द के्रडिट कार्ड स्वीकृत करने के निर्देश दिए गए हैं। मछली पालक किसानों को के्रडिट कार्ड जारी करने का काम प्राथमिकता में एक सप्ताह में पूरा करने कहा गया है। कृषि से जुड़ी छोटी इकाइयों की स्थापना में बैंकर्स से सहयोग करने कहा गया है।
मंथन तक सीमित आत्मनिर्भरता के प्रयास
– 19 मार्च को स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा पर कलेक्टर ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों को बेपरवाही पर जमकर फटकार लगाई।
– 30 जून को जिलास्तरीय परामर्शदात्री समिति की बैठक में भी स्वरोजगार योजनाओं में प्रगति का मुद्दा छाया रहा, प्रकरणों में तेजी लाने के निर्देश।
– 6 अगस्त को कलेक्टर ने बैकर्स समिति की विशेष बैठक बुलाई। बैंक सहायता संंबंधी योजनाओं पर आपेक्षित प्रगति लाने की बात कही।
– 21 अगस्त को जिलास्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में कलेक्टर ने पीएम स्ट्रीट वेंडर स्वनिधि योजना के प्रकरणों को तीस अगस्त तक पूरा करने कहा।
जिले में इनके कंधों पर निर्भर आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता
कलेक्टर एसबी सिंह, सीइओ जिला पंचायत जगदीश चंद्र गोमे, महाप्रबंधक उद्योग अजय श्रीवास्तव, जिला प्रबंधक नाबार्ड एम.धनेश, परियोजना अधिकारी डूडा अभय मिश्रा, आदिम जाति कल्याण विभाग जिला संयोजक सरिता नायक, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. आरके सिंह, नगर निगम के प्रभारी आयुक्त अशफाक कुरैशी सहित बैंक शाखाओं के प्रबंधक।

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