आज का पंचांग 23 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 23/08/2020,रविवार*
पंचमी, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“”””””””””””””””””””‘”””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-पंचमी 17:03:59 तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ———–चित्रा 17:05:02
योग —————शुभ 06:47:20
योग ————-शुक्ल 27:28:35
करण ————-बव 06:28:19
करण ———-बालव 17:03:59
करण ———कौलव 27:44:31
वार ————————–रविवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि ——कन्या 06:05:35
चन्द्र राशि ——————– तुला
सूर्य राशि ——————— सिंह
रितु —————————–वर्षा
सायन ————————–शरद
आयन ——————-दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:55:05
सूर्यास्त —————–18:47:56
दिन काल ————-12:52:50
रात्री काल ————-11:07:37
चंद्रोदय —————-10:09:29
चंद्रास्त —————–22:02:21
लग्न —-सिंह 6°12′ , 126°12′
सूर्य नक्षत्र ———————मघा
चन्द्र नक्षत्र ——————–चित्रा
नक्षत्र पाया ——————–रजत
*??? पद, चरण ???*
पो —-चित्रा 06:05:35
रा —-चित्रा 11:34:45
री —-चित्रा 17:05:02
रू —-स्वाति 22:36:33
रे —-स्वाति 28:09:22
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=सिंह 06°22 ‘ मघा , 2 मी
चन्द्र = कन्या 27°23 ‘ चित्रा’ 2 पो
बुध = सिंह 11°57 ‘ मघा ‘ 4 मे
शुक्र= मिथुन 20°55, पुनर्वसु ‘ 1 के
मंगल=मेष 01°30’ अश्विनी ‘ 1 चु
गुरु=धनु 24°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 01°40 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 01 ° 40 ‘ मूल , 1 ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 17:11 – 18:48 अशुभ
यम घंटा 12:22 – 13:58 अशुभ
गुली काल 15:35 – 17:11 अशुभ
अभिजित 11:56 -12:47 शुभ
दूर मुहूर्त 17:05 – 17:56 अशुभ
?चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:55 – 07:32 अशुभ
चर 07:32 – 09:08 शुभ
लाभ 09:08 – 10:45 शुभ
अमृत 10:45 – 12:22 शुभ
काल 12:22 – 13:58 अशुभ
शुभ 13:58 – 15:35 शुभ
रोग 15:35 – 17:11 अशुभ
उद्वेग 17:11 – 18:48 अशुभ
?चोघडिया, रात
शुभ 18:48 – 20:11 शुभ
अमृत 20:11 – 21:35 शुभ
चर 21:35 – 22:58 शुभ
रोग 22:58 – 24:22* अशुभ
काल 24:22* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:09* शुभ
उद्वेग 27:09* – 28:32* अशुभ
शुभ 28:32* – 29:56* शुभ
?होरा, दिन
सूर्य 05:55 – 06:59
शुक्र 06:59 – 08:04
बुध 08:04 – 09:08
चन्द्र 09:08 – 10:13
शनि 10:13 – 11:17
बृहस्पति 11:17 – 12:22
मंगल 12:22 – 13:26
सूर्य 13:26 – 14:30
शुक्र 14:30 – 15:35
बुध 15:35 – 16:39
चन्द्र 16:39 – 17:44
शनि 17:44 – 18:48
?होरा, रात
बृहस्पति 18:48 – 19:44
मंगल 19:44 – 20:39
सूर्य 20:39 – 21:35
शुक्र 21:35 – 22:30
बुध 22:30 – 23:26
चन्द्र 23:26 – 24:22
शनि 24:22* – 25:17
बृहस्पति 25:17* – 26:13
मंगल 26:13* – 27:09
सूर्य 27:09* – 28:04
शुक्र 28:04* – 28:59
बुध 28:59* – 29:56
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
5 + 1 + 1 = 7 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*?? विशेष जानकारी ??*
* ऋषि पंचमी
*श्रीजी मंदिर 4दिन चाव सवारी श्री राधावल्लभ जी मन्दिर
*??? शुभ विचार ???*
अयममृतनिधानं नायकोऽप्यौषधीनां ।
अमृतमयशरीरः कान्तियुक्तोऽपि चन्द्रः ।।
भवति विगतरश्मिर्मण्डलं प्राप्य भानोः ।
परसदननिविष्टः को लघुत्वं न याति ।।
।।चा o नी o।।
चन्द्रमा जो अमृत से लबालब है और जो औषधियों की देवता माना जाता है, जो अमृत के समान अमर और दैदीप्यमान है. उसका क्या हश्र होता है जब वह सूर्य के घर जाता है अर्थात दिन में दिखाई देता है. तो क्या एक सामान्य आदमी दुसरे के घर जाकर लघुता को नहीं प्राप्त होगा.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते ।,
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्‌ ॥,
जो अनन्यप्रेमी भक्तजन मुझ परमेश्वर को निरंतर चिंतन करते हुए निष्कामभाव से भजते हैं, उन नित्य-निरंतर मेरा चिंतन करने वाले पुरुषों का योगक्षेम (भगवत्‌स्वरूप की प्राप्ति का नाम ‘योग’ है और भगवत्‌प्राप्ति के निमित्त किए हुए साधन की रक्षा का नाम ‘क्षेम’ है) मैं स्वयं प्राप्त कर देता हूँ॥,22॥,

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