आज का पंचांग 20 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 20/08/2020,गुरुवार*
द्वितीया, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——–द्वितीया 26:12:37      तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ——–पूoफाo 23:49:50
योग ————–शिव 17:40:19
करण ———-बालव 15:46:45
करण ———कौलव 26:12:37
वार ————————-गुरूवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि ——-सिंह 29:14:29
चन्द्र राशि ———————कन्या
सूर्य राशि ———————–सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————-शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:53:37
सूर्यास्त —————–18:50:56
दिन काल   ————12:57:18
रात्री काल ————-11:03:10
चंद्रोदय —————-06:53:04
चंद्रास्त —————–20:06:36
लग्न —-सिंह 3°19′ , 123°19′
सूर्य नक्षत्र ——————–मघा
चन्द्र नक्षत्र ———–पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र पाया ——————–रजत
*???  पद, चरण  ???*
मो —-पूर्वा फाल्गुनी 07:33:12
टा —-पूर्वा फाल्गुनी 12:59:21
टी —-पूर्वा फाल्गुनी 18:24:50
टू —- पूर्वा फाल्गुनी 23:49:50
टे —-उत्तरा फाल्गुनी 29:14:29
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 03°22 ‘  मघा    ,      1     मा
चन्द्र = सिंह 15°23 ‘पू oफा o’     1  मो
बुध = सिंह 05°57 ‘    मघा    ‘   2  मी
शुक्र= मिथुन 17°55,   आर्द्रा  ‘     4   छ
मंगल=मेष  00°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 01°50  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  01 ° 50 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 13:59 – 15:37 अशुभ
यम घंटा 05:54 – 07:31 अशुभ
गुली काल 09:08 – 10:45  अशुभ
अभिजित 11:56 -12:48 शुभ
दूर मुहूर्त 10:13 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:24 – 16:15 अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:54 – 07:31 शुभ
रोग 07:31 – 09:08 अशुभ
उद्वेग 09:08 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:22 शुभ
लाभ 12:22 – 13:59 शुभ
अमृत 13:59 – 15:37 शुभ
काल 15:37 – 17:14 अशुभ
शुभ 17:14 – 18:51 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 18:51 – 20:14 शुभ
चर 20:14 – 21:37 शुभ
रोग 21:37 – 22:59 अशुभ
काल  22:59 – 24:23* अशुभ
लाभ 24:23* – 25:45* शुभ
उद्वेग 25:45* – 27:08* अशुभ
शुभ 27:08* – 28:31* शुभ
अमृत 28:31* – 29:54* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:54 – 06:58
मंगल 06:58 – 08:03
सूर्य 08:03 – 09:08
शुक्र 09:08 – 10:13
बुध 10:13 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:22
शनि 12:22 – 13:27
बृहस्पति 13:27 – 14:32
मंगल 14:32 – 15:37
सूर्य 15:37 – 16:41
शुक्र 16:41 – 17:46
बुध 17:46 – 18:51
?होरा, रात
चन्द्र 18:51 – 19:46
शनि 19:46 – 20:41
बृहस्पति 20:41 – 21:37
मंगल 21:37 – 22:32
सूर्य 22:32 – 23:27
शुक्र 23:27 – 24:23
बुध 24:23* – 25:18
चन्द्र 25:18* – 26:13
शनि 26:13* – 27:08
बृहस्पति 27:08* – 28:04
मंगल 28:04* – 28:59
सूर्य 28:59* – 29:54
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
   2 + 5 + 1 = 8 ÷ 4 = 0शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
    2 + 2 + 5 =  9 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* सद्भावना दिवस
*बाबा रामदेव मेला आरम्भ (राजo)
* शंकरदेव तीर्थ पुण्य तिथि (आसाम)
* वज्रमुसल योग रात्रि 23:05 से
*???   शुभ विचार   ???*
दूरागतं पथि श्रान्तं वृथा च गृहमागतम् ।
अनर्चयित्वा यो भुङ्क्ते स वै चाण्डाल उच्यते ।।
।।चा o नी o।।
   वह आदमी चंडाल है जो एक दूर से अचानक आये हुए थके मांदे अतिथि को आदर सत्कार दिए बिना रात्रि का भोजन खुद खाता है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्‌णाम्युत्सृजामि च ।,
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन ॥,
मैं ही सूर्यरूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ।, हे अर्जुन! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत्‌-असत्‌ भी मैं ही हूँ॥,19॥,

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