आज का पंचांग 19 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक-: 19/08/2020,बुधवार*
अमावस्या, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि —–अमावस्या 08:10:43      तक
तिथि ——–प्रतिपदा 29:18:38
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ————मघा 26:06:15
योग ————परिघ 21:14:08
करण ————-नाग 08:10:43
करण —–किन्स्तुघ्न 18:47:02
करण ———–बव 29:18:38
वार ————————बुधवार
माह ———————–भाद्रपद
चन्द्र राशि   —————– सिंह
सूर्य राशि   —————– सिंह
रितु ————————–वर्षा
आयन —————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————–05:53:08
सूर्यास्त —————–18:51:54
दिन काल ————-12:58:46
रात्री काल ————-11:01:43
चंद्रोदय ————— 06:12:20
चंद्रास्त —————–19:25:06
लग्न —-सिंह 2°21′ , 122°21′
सूर्य नक्षत्र ——————–मघा
चन्द्र नक्षत्र ———————मघा
नक्षत्र पाया ——————–रजत
*???  पद, चरण  ???*
मा —-मघा 09:38:54
मी —-मघा 15:09:15
मू —-मघा20:38:19
मे —-मघा 26:06:15
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 02°22 ‘    मघा    ,      1     मा
चन्द्र = सिंह 01°23 ‘  मघा ‘     1  मा
बुध = सिंह 03°57 ‘    मघा    ‘   2  मी
शुक्र= मिथुन 16°55,   आर्द्रा  ‘     3   ङ
मंगल=मेष  00°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 01°50  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  01 ° 50 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 12:23 – 13:59 अशुभ
यम घंटा 07:30 – 09:08 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:23  अशुभ
अभिजित 11:57 -12:48 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:57 – 12:48 अशुभ
?गंड मूल 05:53 – 26:06* अशुभ
?चोघडिया, दिन
लाभ 05:53 – 07:30 शुभ
अमृत 07:30 – 09:08 शुभ
काल 09:08 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:23 शुभ
रोग 12:23 – 13:59 अशुभ
उद्वेग 13:59 – 15:37 अशुभ
चर   15:37 – 17:15 शुभ
लाभ 17:15 – 18:52 शुभ
?चोघडिया, रात
उद्वेग 18:52 – 20:15 अशुभ
शुभ 20:15 – 21:37 शुभ
अमृत 21:37 – 23:00 शुभ
चर 23:00 – 24:23* शुभ
रोग 24:23* – 25:45* अशुभ
काल 25:45* – 27:08* अशुभ
लाभ 27:08* – 28:31* शुभ
उद्वेग 28:31* – 29:54* अशुभ
?होरा, दिन
बुध 05:53 – 06:58
चन्द्र 06:58 – 08:03
शनि 08:03 – 09:08
बृहस्पति 09:08 – 10:13
मंगल 10:13 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:23
शुक्र 12:23 – 13:27
बुध 13:27 – 14:32
चन्द्र 14:32 – 15:37
शनि 15:37 – 16:42
बृहस्पति 16:42 – 17:47
मंगल 17:47 – 18:52
?होरा, रात
सूर्य 18:52 – 19:47
शुक्र 19:47 – 20:42
बुध 20:42 – 21:37
चन्द्र 21:37 – 22:32
शनि 22:32 – 23:28
बृहस्पति 23:28 – 24:23
मंगल 24:23* – 25:18
सूर्य 25:18* – 26:13
शुक्र 26:13* – 27:08
बुध 27:08* – 28:03
चन्द्र 28:03* – 28:58
शनि 28:58* – 29:54
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा  पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 15 +  4 + 1 = 35  ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   30 + 30 + 5 =  65 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* देवकार्य अमावस्या
* प्रतिपदा क्षय
* मौन व्रत आरम्भ (जैन)
*श्रीशक्ति पूजन
*???   शुभ विचार   ???*
अनन्तंशास्त्रं बहुलाश्च विद्याः
अल्पं च कालो बहुविघ्नता च ।
यत्सारभूतं तदुपासनीयं,
हंसो यथा क्षीरमिवम्बुमध्यात् ।।
।।चा o नी o।।
    शास्त्रों का ज्ञान अगाध है. वो कलाए अनंत जो हमें सीखनी छाहिये. हमारे पास समय थोडा है. जो सिखने के मौके है उसमे अनेक विघ्न आते है. इसीलिए वही सीखे जो अत्यंत महत्वपूर्ण है. उसी प्रकार जैसे हंस पानी छोड़कर उसमे मिला हुआ दूध पी लेता है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्‌ ।,
प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्‌॥,
प्राप्त होने योग्य परम धाम, भरण-पोषण करने वाला, सबका स्वामी, शुभाशुभ का देखने वाला, सबका वासस्थान, शरण लेने योग्य, प्रत्युपकार न चाहकर हित करने वाला, सबकी उत्पत्ति-प्रलय का हेतु, स्थिति का आधार, निधान (प्रलयकाल में संपूर्ण भूत सूक्ष्म रूप से जिसमें लय होते हैं उसका नाम ‘निधान’ है) और अविनाशी कारण भी मैं ही हूँ॥,18॥,

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