आज का पंचांग 18 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 18/08/2020,मंगलवार*
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——–चतुर्दशी 10:39:09     तक
पक्ष —————————कृष्ण
नक्षत्र ——-आश्लेषा 28:07:06
योग ———-वरियान 24:33:13
करण ———शकुनी 10:39:09
करण ——–चतुष्पद 21:28:29
वार ———————–मंगलवार
मास ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि ——-  कर्क28:07:06
चन्द्र राशि ———————  सिंह
सूर्य राशि   ——————– सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन (मथुरा)
सूर्योदय ————— 05:52:38
सूर्यास्त —————–18:52:52
दिन काल ————–13:00:13
रात्री काल ————-11:00:15
चंद्रोदय —————-06:11:50
चंद्रास्त —————–18:40:06
लग्न —- सिंह 1°23′ , 121°23′
सूर्य नक्षत्र ——————–मघा
चन्द्र नक्षत्र —————-आश्लेषा
नक्षत्र पाया ——————–रजत
*???  पद, चरण  ???*
डी —-आश्लेषा 11:21:28
डू —-आश्लेषा 16:58:32
डे —-आश्लेषा 22:33:41
डो —-आश्लेषा 28:07:06
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 10°22 ‘    मघा    ,      1     मा
चन्द्र = कर्क 16°23 ‘  अश्लेषा’     1  डी
बुध = कर्क 01°57 ‘    मघा    ‘   1   मा
शुक्र= मिथुन 15°55,   आर्द्रा  ‘     3   ङ
मंगल=मेष  00°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°00  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 00 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 15:38 – 17:15 अशुभ
यम घंटा 09:08 – 10:45 अशुभ
गुली काल 12:23 – 14:00  अशुभ
अभिजित 11:57 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 08:29 – 09:21 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:17 – 24:09* अशुभ
?गंड मूल अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
रोग 05:53 – 07:30 अशुभ
उद्वेग 07:30 – 09:08 अशुभ
चर 09:08 – 10:45 शुभ
लाभ 10:45 – 12:23 शुभ
अमृत 12:23 – 14:00 शुभ
काल 14:00 – 15:38 अशुभ
शुभ 15:38 – 17:15 शुभ
रोग 17:15 – 18:53 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 18:53 – 20:15 अशुभ
लाभ 20:15 – 21:38 शुभ
उद्वेग 21:38 – 23:00 अशुभ
शुभ 23:00 – 24:23* शुभ
अमृत 24:23* – 25:46* शुभ
चर 25:46* – 27:08* शुभ
रोग 27:08* – 28:31* अशुभ
काल 28:31* – 29:53* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 05:53 – 06:58
सूर्य 06:58 – 08:03
शुक्र 08:03 – 09:08
बुध 09:08 – 10:13
चन्द्र 10:13 – 11:18
शनि 11:18 – 12:23
बृहस्पति 12:23 – 13:28
मंगल 13:28 – 14:33
सूर्य 14:33 – 15:38
शुक्र 15:38 – 16:43
बुध 16:43 – 17:48
चन्द्र 17:48 – 18:53
?होरा, रात
शनि 18:53 – 19:48
बृहस्पति 19:48 – 20:43
मंगल 20:43 – 21:38
सूर्य 21:38 – 22:33
शुक्र 22:33 – 23:28
बुध 23:28 – 24:23
चन्द्र 24:23* – 25:18
शनि 25:18* – 26:13
बृहस्पति 26:13* – 27:08
मंगल 27:08* – 28:03
सूर्य 28:03* – 28:58
शुक्र 28:58* – 29:53
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 14 + 3 + 1 = 33  ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
29 + 29 + 5 = 63  ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास  = मृत्यु कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* कुशोत्पाटिनी अमावस्या
* देवकार्य पितृ कार्य अमावस्या
* सर्वार्थ सिद्धि योग 28:07 तक
* दर्भाहरण मातृका पूजा
* वृषण पूजन
*???   शुभ विचार   ???*
मणिर्लुण्ठति पादाग्रे काचः शिरसि धार्यते ।
क्रय विक्रयवेलायां काचः काचो मणिर्मणिः ।।
।।चा o नी o।।
  यदि आदमी को परख नहीं है तो वह अनमोल रत्नों को तो पैर की धुल में पडा हुआ रखता है और घास को सर पर धारण करता है. ऐसा करने से रत्नों का मूल्य कम नहीं होता और घास के तिनको की महत्ता नहीं बढती. जब विवेक बुद्धि वाला आदमी आता है तो हर चीज को उसकी जगह दिखाता है.,
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः ।,
वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च ॥,
इस संपूर्ण जगत्‌ का धाता अर्थात्‌ धारण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला, पिता, माता, पितामह, जानने योग्य, (गीता अध्याय 13 श्लोक 12 से 17 तक में देखना चाहिए) पवित्र ओंकार तथा ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ॥,17॥,

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