आज का पंचांग 17 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 17/08/2020,सोमवार*
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——-त्रयोदशी 12:34:49     तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ———पुनर्वसु 06:43:02
नक्षत्र ————पुष्य 29:42:23
योग ————-सिद्वि 05:57:36
योग ——–व्यतापता 27:29:57
करण ———वणिज 12:34:49
करण ——विष्टि भद्र 23:41:36
वार ————————-सोमवार
माह ———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि    ——————–कर्क
सूर्य राशि    ———————सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:52:08
सूर्यास्त —————-18:53:49
दिन काल ————-13:01:40
रात्री काल ————-10:58:49
चंद्रास्त —————-17:50:56
चंद्रोदय —————–28:40:20
लग्न —-सिंह 0°26′ , 120°26′
सूर्य नक्षत्र ———————मघा
चन्द्र नक्षत्र ——————पुनर्वसु
नक्षत्र पाया ——————–रजत
*???  पद, चरण  ???*
ही —-पुनर्वसु 06:43:02
हु —-पुष्य 12:31:33
हे —-पुष्य 18:17:32
हो —-पुष्य 24:01:06
ड —-पुष्य 29:42:23
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 00°22 ‘    मघा    ,      1     मा
चन्द्र = कर्क 04°23 ‘  पुनर्वसु’     4  ही
बुध = कर्क 29°57 ‘    अश्लेषा  ‘   4   डो
शुक्र= मिथुन 14°55,   आर्द्रा  ‘     3   ङ
मंगल=मीन  00°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°06  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 06 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 07:30 – 09:08 अशुभ
यम घंटा 10:45 – 12:23 अशुभ
गुली काल 14:01 – 15:38   अशुभ
अभिजित 11:57 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 12:49 – 13:41 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:25 – 16:17 अशुभ
?चोघडिया, दिन
अमृत 05:52 – 07:30 शुभ
काल  07:30 – 09:08 अशुभ
शुभ 09:08 – 10:45 शुभ
रोग 10:45 – 12:23 अशुभ
उद्वेग 12:23 – 14:01 अशुभ
चर 14:01 – 15:38 शुभ
लाभ 15:38 – 17:16 शुभ
अमृत 17:16 – 18:54 शुभ
?चोघडिया, रात
चर 18:54 – 20:16 शुभ
रोग 20:16 – 21:39 अशुभ
काल 21:39 – 23:01 अशुभ
लाभ 23:01 – 24:23* शुभ
उद्वेग 24:23* – 25:46* अशुभ
शुभ 25:46* – 27:08* शुभ
अमृत 27:08* – 28:30* शुभ
चर 28:30* – 29:53* शुभ
?होरा, दिन
चन्द्र 05:52 – 06:57
शनि 06:57 – 08:02
बृहस्पति 08:02 – 09:08
मंगल 09:08 – 10:13
सूर्य 10:13 – 11:18
शुक्र 11:18 – 12:23
बुध 12:23 – 13:28
चन्द्र 13:28 – 14:33
शनि 14:33 – 15:38
बृहस्पति 15:38 – 16:44
मंगल 16:44 – 17:49
सूर्य 17:49 – 18:54
?होरा, रात
शुक्र 18:54 – 19:49
बुध 19:49 – 20:44
चन्द्र 20:44 – 21:39
शनि 21:39 – 22:33
बृहस्पति 22:33 – 23:28
मंगल 23:28 – 24:23
सूर्य 24:23* – 25:18
शुक्र 25:18* – 26:13
बुध 26:13* – 27:08
चन्द्र 27:08* – 28:03
शनि 28:03* – 28:58
बृहस्पति 28:58* – 29:53
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 13 + 2 + 1 = 31  ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
  28  + 28  + 5 =  61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां  = कष्ट कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
दोपहर12:35 से रात्रि 23:37 तक
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*??    विशेष जानकारी   ??*
* सर्वार्थ सिद्धि योग 6:47 से
* मास शिवरात्रि
* अघोरा चतुदर्शी (बंगाल)
*???   शुभ विचार   ???*
तद्भोजनं यद् द्विजभुक्तशेषं
तत्सौहृदं यत्क्रियते परस्मिन् ।
सा प्राज्ञता या न करोति पापं
दम्भं विना यः क्रियते पापं
दम्भं विना यः क्रियते स धर्मः ।।
।।चा o नी o।।
   एक सच्चा भोजन वह है जो ब्राह्मण को देने के बाद शेष है. प्रेम वह सत्य है जो दुसरो को दिया जाता है. खुद से जो प्रेम होता है वह नहीं. वही बुद्धिमत्ता है जो पाप करने से रोकती है. वही दान है जो बिना दिखावे के किया जाता है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
अहं क्रतुरहं यज्ञः स्वधाहमहमौषधम्‌ ।,
मंत्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम्‌ ॥,
क्रतु मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषधि मैं हूँ, मंत्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं ही हूँ॥,16॥,

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