आज का पंचांग 15 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 15/08/2020,शनिवार*
एकादशी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””‘”””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——-एकादशी 14:19:32          तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ——-मृगशिरा 06:34:42
योग ————-हर्शण 09:06:54
करण ———-बालव 14:19:32
करण ———कौलव 26:10:43
वार ————————-शनिवार
माह ———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि    ——————मिथुन
सूर्य राशि ———————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:51:08
सूर्यास्त —————–18:55:40
दिन काल ————-13:04:32
रात्री काल ————-10:55:57
चंद्रास्त —————-16:01:46
चंद्रोदय —————–26:37:27
लग्न —-कर्क 28°30′ , 118°30′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र —————-मृगशिरा
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
*???  पद, चरण  ???*
की —-मृगशिरा 06:34:42
कु —-आर्द्रा 12:45:54
घ —-आर्द्रा 18:54:10
ङ —-आर्द्रा 24:59:29
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 28°22 ‘ आश्लेषा ,      4   डो
चन्द्र = मिथुन 06°23 ‘ मृगशिरा ‘     4  की
बुध = कर्क 25°57 ‘    अश्लेषा  ‘   3    डे
शुक्र= मिथुन 12°55,   आर्द्रा  ‘     2    घ
मंगल=मीन  29°30’       रेवती  ‘ 4    ची
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°10  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 10 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 09:07 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 14:01 – 15:40 अशुभ
गुली काल 05:51 – 07:29   अशुभ
अभिजित 11:57 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 07:36 – 08:28 अशुभ
?चोघडिया, दिन
काल 05:51 – 07:29 अशुभ
शुभ 07:29 – 09:07 शुभ
रोग 09:07 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:23 अशुभ
चर 12:23 – 14:01 शुभ
लाभ 14:01 – 15:40 शुभ
अमृत 15:40 – 17:18 शुभ
काल 17:18 – 18:56 अशुभ
?चोघडिया, रात
लाभ 18:56 – 20:18 शुभ
उद्वेग 20:18 – 21:40 अशुभ
शुभ 21:40 – 23:02 शुभ
अमृत 23:02 – 24:24* शुभ
चर 24:24* – 25:46* शुभ
रोग 25:46* – 27:08* अशुभ
काल 27:08* – 28:30* अशुभ
लाभ 28:30* – 29:52* शुभ
?होरा, दिन
शनि 05:51 – 06:57
बृहस्पति 06:57 – 08:02
मंगल 08:02 – 09:07
सूर्य 09:07 – 10:13
शुक्र 10:13 – 11:18
बुध 11:18 – 12:23
चन्द्र 12:23 – 13:29
शनि 13:29 – 14:34
बृहस्पति 14:34 – 15:40
मंगल 15:40 – 16:45
सूर्य 16:45 – 17:50
शुक्र 17:50 – 18:56
?होरा, रात
बुध 18:56 – 19:50
चन्द्र 19:50 – 20:45
शनि 20:45 – 21:40
बृहस्पति 21:40 – 22:34
मंगल 22:34 – 23:29
सूर्य 23:29 – 24:24
शुक्र 24:24* – 25:18
बुध 25:18* – 26:13
चन्द्र 26:13* – 27:08
शनि 27:08* – 28:02
बृहस्पति 28:02* – 28:57
मंगल 28:57* – 29:52
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा  कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 11 + 7 + 1 = 34  ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   26 + 26 + 5 = 57  ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* अजा एकादशी व्रत (सर्वेषां)
* स्वतंत्रता दिवस
* महर्षि अरविन्द जयन्ती
*???   शुभ विचार   ???*
अन्यायोपार्जितं द्रव्यं दश वर्षाणि तिष्ठति ।
प्राप्ते एकादशे वर्षे समूलं च विनश्यति ।।
।।चा o नी o।।
  पाप से कमाया हुआ पैसा दस साल रह सकता है. ग्यारवे साल में वह लुप्त हो जाता है, उसकी मुद्दल के साथ.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढ़व्रताः ।,
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ॥,
  वे दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और मुझको बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं॥,14॥,

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