आज का पंचांग 14 अगस्त 2020

0
??????????
*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
??????????
*दिनाँक -: 14/08/2020,शुक्रवार*
दशमी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
‘””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-दशमी 14:01:23          तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ——–मृगशिरा 30:34:42
योग ———-व्याघात 09:45:17
करण ——विष्टि भद्र 14:01:23
करण ————-बव 26:16:22
वार ————————-शुक्रवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि    —-वृषभ 18:03:33
चन्द्र राशि ——————-मिथुन
सूर्य राशि ———————- कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————–05:50:37
सूर्यास्त —————–18:56:34
दिन काल ————-13:05:57
रात्री काल ————-10:54:33
चंद्रास्त —————–15:04:30
चंद्रोदय —————–25:44:09
लग्न —-कर्क 27°33′ , 117°33′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र —————–मृगशिरा
नक्षत्र पाया ——————–लोहा
*???  पद, चरण  ???*
वे —-मृगशिरा 11:43:43
वो —-मृगशिरा 18:03:33
का —-मृगशिरा  24:20:34
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 27°22 ‘ आश्लेषा ,      4   डी
चन्द्र = वृषभ 23°23 ‘ मृगशिरा ‘     1    वे
बुध = कर्क 23°57 ‘    अश्लेषा  ‘   3    डे
शुक्र= मिथुन 11°55,   आर्द्रा  ‘     2    घ
मंगल=मीन  28°30’       रेवती  ‘ 4    ची
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°10  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 10 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 10:45 – 12:24 अशुभ
यम घंटा 15:40 – 17:18 अशुभ
गुली काल 07:29 – 09:07   अशुभ
अभिजित 11:57 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त  08:28 – 09:20 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:50 – 13:42 अशुभ
?चोघडिया, दिन
चर 05:51 – 07:29 शुभ
लाभ 07:29 – 09:07 शुभ
अमृत 09:07 – 10:45 शुभ
काल 10:45 – 12:24 अशुभ
शुभ 12:24 – 14:02 शुभ
रोग 14:02 – 15:40 अशुभ
उद्वेग 15:40 – 17:18 अशुभ
चर 17:18 – 18:57 शुभ
?चोघडिया, रात
रोग 18:57 – 20:18 अशुभ
काल 20:18 – 21:40 अशुभ
लाभ 21:40 – 23:02 शुभ
उद्वेग 23:02 – 24:24* अशुभ
शुभ 24:24* – 25:46* शुभ
अमृत 25:46* – 27:07* शुभ
चर 27:07* – 28:29* शुभ
रोग 28:29* – 29:51* अशुभ
?होरा, दिन
शुक्र 05:51 – 06:56
बुध 06:56 – 08:02
चन्द्र 08:02 – 09:07
शनि 09:07 – 10:13
बृहस्पति 10:13 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:24
सूर्य 12:24 – 13:29
शुक्र 13:29 – 14:35
बुध 14:35 – 15:40
चन्द्र 15:40 – 16:46
शनि 16:46 – 17:51
बृहस्पति 17:51 – 18:57
?होरा, रात
मंगल 18:57 – 19:51
सूर्य 19:51 – 20:46
शुक्र 20:46 – 21:40
बुध 21:40 – 22:35
चन्द्र 22:35 – 23:29
शनि 23:29 – 24:24
बृहस्पति 24:24* – 25:18
मंगल 25:18* – 26:13
सूर्य 26:13* – 27:07
शुक्र 27:07* – 28:02
बुध 28:02* – 28:57
चन्द्र 28:57* – 29:51
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 10 + 6 + 1 =  32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   25 + 25 + 5 = 55  ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक,दुःख कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
दोपहर 14:01  तक  समाप्त
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*??    विशेष जानकारी   ??*
* मनसा पूजा
*अखण्ड भारत स्मृति दिवस
*वीर तेजा जी का मेला (राजo)
*???   शुभ विचार   ???*
त्यजन्ति मित्राणि धनैर्विहीनं
दाराश्च भृत्याश्च सुहृज्जनाश्च ।
तं चार्थवन्तं पुनराश्रयन्ते ।
ह्यर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः ।।
।।चा o नी o।।
  जब व्यक्ति दौलत खोता है तो उसके मित्र, पत्नी, नौकर, सम्बन्धी उसे छोड़कर चले जाते है. और जब वह दौलत वापस हासिल करता है तो ये सब लौट आते है. इसीलिए दौलत ही सबसे अच्छा रिश्तेदार है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः ।,
भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्यम्‌ ॥,
परंतु हे कुन्तीपुत्र! दैवी प्रकृति के (इसका विस्तारपूर्वक वर्णन गीता अध्याय 16 श्लोक 1 से 3 तक में देखना चाहिए) आश्रित महात्माजन मुझको सब भूतों का सनातन कारण और नाशरहित अक्षरस्वरूप जानकर अनन्य मन से युक्त होकर निरंतर भजते हैं॥,13॥,

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More