कोरोना पहली वैक्सीन को लेकर चौंकाने वाला बड़ा खुलासा

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रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी बेटी को भी वैक्सीन लगाए जाने की पुष्टि करते हुए मंगलवार को वैक्सीन की स्वीकृति की घोषणा की थी। वैक्सीन के पंजीकरण से पहले से ही तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी आदि देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिक वैक्सीन पर आपत्ति जता चुके हैं। अब इसके पंजीकरण के दौरान पेश किए गए दस्तावेजों से कई खुलासे हुए हैं। दस्तावेजों के अनुसार, वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर पूरी क्लीनिकल स्टडी हुई ही नहीं
डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल के दौरान 42 दिन में केवल 38 वॉलंटियर्स को वैक्सीन की खुराक दी गई, जबकि ट्रायल के तीसरे चरण पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। रूस का दावा था कि वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं, जबकि पंजीकरण के दौरान प्रस्तुत किए गए दस्तावेज बताते हैं कि 38 में से 31 लोगों में 144 तरह के साइडइफेक्ट दिखे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का आरोप है कि रूस ने वैक्सीन तैयार करने के लिए तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया, ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता पर विश्वास करना मुश्किल है। केवल डब्ल्यूएचओ ही नहीं, कई देशों के विशेषज्ञ इस वैक्सीन पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि दिशानिर्देशों को नजरअंदाज कर वैक्सीन लाना सही नहीं है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। रूस ने तमाम आरोपों से किनारा करते हुए वैक्सीन के सफल होने की बात कही है।
वहीं दस्तावेजों के मुताबिक सच्चाई कुछ और है। जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उनमें शरीर का तापमान बढ़ना, बुखार, शरीर में दर्द जैसी परेशानियां देखी गईं। शरीर के जिस हिस्से में टीका लगाया गया, वहां खुजली और सूजन की समस्या हुई। वहीं, सिरदर्द, डायरिया, गले में सूजन, भूख न लगने और थकान जैसे साइडइफेक्ट वॉलेंटियर्स में कॉमन थे।
रूस के रक्षा मंत्रालय का दो दिन पहले तक ये कहना था कि हम वैक्सीन की रेस में दूसरों से कई महीने आगे चल रहे हैं। इसी महीने में बड़े स्तर पर तीन और ट्रायल किए जाएंगे। और फिर अचानक 11 अगस्त को पंजीकरण के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वैक्सीन से जुड़े सभी जरूरी ट्रायल पूरे हो गए हैं।

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