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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 13/8/2020,गुरुवार*
नवमी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-नवमी 12:57:56 तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ———रोहिणी 29:21:08
योग —————ध्रुव 09:48:52
करण ————–गर 12:57:56
करण ———वणिज 25:35:00
वार ————————-गुरूवार
माह ———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि ——————-वृषभ
सूर्य राशि ——————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:50:07
सूर्यास्त —————–18:57:28
दिन काल ————-13:07:21
रात्री काल ————-10:53:09
चंद्रास्त —————-14:07:34
चंद्रोदय —————–24:57:08
लग्न —-कर्क 26°35′ , 116°35′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र ——————रोहिणी
नक्षत्र पाया ——————–लोहा
*??? पद, चरण ???*
ओ —-रोहिणी 09:57:50
वा —-रोहिणी 16:28:04
वी —-रोहिणी 22:55:53
वु —-रोहिणी 29:21:08
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=कर्क 26°22 ‘ आश्लेषा , 3 डे
चन्द्र = वृषभ 11°23 ‘ रोहिणी ‘ 1 ओ
बुध = कर्क 21°57 ‘ अश्लेषा ‘ 2 डू
शुक्र= मिथुन 10°55, आर्द्रा ‘ 2 घ
मंगल=मीन 28°30’ रेवती ‘ 4 ची
गुरु=धनु 24°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 02°10 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 02 ° 10 ‘ मूल , 1 ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 14:02 – 15:41 अशुभ
यम घंटा 05:50 – 07:29 अशुभ
गुली काल 09:07 – 10:45 अशुभ
अभिजित 11:58 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 10:13 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:28 – 16:20 अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:50 – 07:29 शुभ
रोग 07:29 – 09:07 अशुभ
उद्वेग 09:07 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:24 शुभ
लाभ 12:24 – 14:02 शुभ
अमृत 14:02 – 15:41 शुभ
काल 15:41 – 17:19 अशुभ
शुभ 17:19 – 18:57 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 18:57 – 20:19 शुभ
चर 20:19 – 21:41 शुभ
रोग 21:41 – 23:02 अशुभ
काल 23:02 – 24:24* अशुभ
लाभ 24:24* – 25:46* शुभ
उद्वेग 25:46* – 27:07* अशुभ
शुभ 27:07* – 28:29* शुभ
अमृत 28:29* – 29:51* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:50 – 06:56
मंगल 06:56 – 08:01
सूर्य 08:01 – 09:07
शुक्र 09:07 – 10:13
बुध 10:13 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:24
शनि 12:24 – 13:29
बृहस्पति 13:29 – 14:35
मंगल 14:35 – 15:41
सूर्य 15:41 – 16:46
शुक्र 16:46 – 17:52
बुध 17:52 – 18:57
?होरा, रात
चन्द्र 18:57 – 19:52
शनि 19:52 – 20:46
बृहस्पति 20:46 – 21:41
मंगल 21:41 – 22:35
सूर्य 22:35 – 23:30
शुक्र 23:30 – 24:24
बुध 24:24* – 25:18
चन्द्र 25:18* – 26:13
शनि 26:13* – 27:07
बृहस्पति 27:07* – 28:02
मंगल 28:02* – 28:56
सूर्य 28:56* – 29:51
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 9 + 5 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = सन्ताप कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 25:30 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*?? विशेष जानकारी ??*
* नंदोत्सव (नंदगाँव)
* रोहिणी व्रत
* लठ्ठ का मेला रंगजी मंदिर वृन्दावन
* गोगा नवमी
*??? शुभ विचार ???*
कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणां
बह्वाशिनंनिष्ठुरभाषिणां च ।
सूर्योदये वाऽस्तमिते शयानं
विमुञ्चति श्रीर्यदि चक्रपाणिः ।।
।।चा o नी o।।
जो अस्वच्छ कपडे पहनता है. जिसके दात साफ़ नहीं. जो बहोत खाता है. जो कठोर शब्द बोलता है. जो सूर्योदय के बाद उठता है. उसका कितना भी बड़ा व्यक्तित्व क्यों न हो, वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह जायेगा.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
मोघाशा मोघकर्माणो मोघज्ञाना विचेतसः ।,
राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिताः ॥,
वे व्यर्थ आशा, व्यर्थ कर्म और व्यर्थ ज्ञान वाले विक्षिप्तचित्त अज्ञानीजन राक्षसी, आसुरी और मोहिनी प्रकृति को (जिसको आसुरी संपदा के नाम से विस्तारपूर्वक भगवान ने गीता अध्याय 16 श्लोक 4 तथा श्लोक 7 से 21 तक में कहा है) ही धारण किए रहते हैं॥,12॥,