आज का पंचांग 10 अगस्त 2020

0
??????????
*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
??????????
*दिनाँक -: 10/08/2020,सोमवार*
षष्ठी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ————षष्ठी 06:42:25        तक
पक्ष —————————कृष्ण
नक्षत्र ——–अश्विनी 22:04:32
योग —————शूल 07:40:50
करण ———वणिज 06:42:24
करण ——विष्टि भद्र 19:55:17
वार ————————-सोमवार
माह (पूर्णिमांत) ———–भाद्रपद
चन्द्र राशि    ———————मेष
सूर्य राशि ———————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:48:34
सूर्यास्त —————–19:00:02
दिन काल ————-13:11:28
रात्री काल ————-10:49:02
चंद्रास्त —————-11:25:54
चंद्रोदय —————–23:06:02
लग्न —-कर्क 23°42′ , 113°42′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र —————–अश्विनी
नक्षत्र पाया ——————–स्वर्ण
*???  पद, चरण  ???*
चे —-अश्विनी 08:34:59
चो —-अश्विनी 15:19:54
ला —-अश्विनी 22:04:32
ली —-भरणी 28:48:39
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 24°22 ‘ आश्लेषा ,      3   डे
चन्द्र = मेष 10°23 ‘  अश्विनी’     4  ला
बुध = कर्क 16 °57 ‘     पुष्य  ‘   4    ड़
शुक्र= मिथुन 08°55,   आर्द्रा  ‘     1    कु
मंगल=मीन  27°30’       रेवती  ‘ 4    ची
गुरु=धनु  25°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°20  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 20 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 07:28 – 09:06 अशुभ
यम घंटा 10:45 – 12:24 अशुभ
गुली काल 14:03 – 15:42  अशुभ
अभिजित 11:58 -12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 12:51 – 13:43 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:29 – 16:22 अशुभ
?गंड मूल 05:49 – 22:05 अशुभ
?चोघडिया, दिन
अमृत 05:49 – 07:28 शुभ
काल 07:28 – 09:06 अशुभ
शुभ 09:06 – 10:45 शुभ
रोग 10:45 – 12:24 अशुभ
उद्वेग 12:24 – 14:03 अशुभ
चर 14:03 – 15:42 शुभ
लाभ 15:42 – 17:21 शुभ
अमृत 17:21 – 19:00 शुभ
?चोघडिया, रात
चर 19:00 – 20:21 शुभ
रोग 20:21 – 21:42 अशुभ
काल  21:42 – 23:03 अशुभ
लाभ 23:03 – 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25* – 25:46* अशुभ
शुभ  25:46* – 27:07* शुभ
अमृत 27:07* – 28:28* शुभ
चर 28:28* – 29:49* शुभ
?होरा, दिन
चन्द्र 05:49 – 06:55
शनि 06:55 – 08:00
बृहस्पति 08:00 – 09:06
मंगल 09:06 – 10:12
सूर्य 10:12 – 11:18
शुक्र 11:18 – 12:24
बुध 12:24 – 13:30
चन्द्र 13:30 – 14:36
शनि 14:36 – 15:42
बृहस्पति 15:42 – 16:48
मंगल 16:48 – 17:54
सूर्य 17:54 – 19:00
?होरा, रात
शुक्र 19:00 – 19:54
बुध 19:54 – 20:48
चन्द्र 20:48 – 21:42
शनि 21:42 – 22:36
बृहस्पति 22:36 – 23:30
मंगल 23:30 – 24:25
सूर्य 24:25* – 25:19
शुक्र 25:19* – 26:13
बुध 26:13* – 27:07
चन्द्र 27:07* – 28:01
शनि 28:01* – 28:55
बृहस्पति 28:55* – 29:49
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 6 + 2 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
    21 + 21 + 5 = 47  ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां  = कष्ट कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 06:42 से रात्रि19:55 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*??    विशेष जानकारी   ??*
* शीतला व्रत
* षष्ठी वृद्धि
*???   शुभ विचार   ???*
एकमेवाक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत् ।
पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यद् दत्त्वा चानृणी भवेत् ।।
।।चा o नी o।।
   इस दुनिया में वह खजाना नहीं है जो आपको आपके सदगुरु ने ज्ञान का एक अक्षर दिया उसके कर्जे से मुक्त कर सके.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
न च मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय।,
उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु ॥,
हे अर्जुन! उन कर्मों में आसक्तिरहित और उदासीन के सदृश (जिसके संपूर्ण कार्य कर्तृत्व भाव के बिना अपने आप सत्ता मात्र ही होते हैं उसका नाम ‘उदासीन के सदृश’ है।,) स्थित मुझ  को वे कर्म नहीं बाँधते॥,9॥,

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More