आज का पंचांग 8 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 08/08/2020,शनिवार*
पंचमी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-पंचमी 28:18:06       तक
पक्ष —————————कृष्ण
नक्षत्र ———उ०भा०16:10:46
योग ———–सुकर्मा 05:54:04
करण ———कौलव 15:09:44
करण ———–तैतुल 28:18:06
वार ————————शनिवार
माह ———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि    ——————–मीन
सूर्य राशि ———————-कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन   —————–दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत ————— 2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1947
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:47:32
सूर्यास्त —————–19:01:41
दिन काल ————–13:14:08
रात्री काल ————-10:46:22
चंद्रास्त —————–09:43:04
चंद्रोदय —————–22:05:00
लग्न —- कर्क 21°47′ , 111°47′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र ———उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र पाया ———————ताम्र
*???  पद, चरण  ???*
झ —-उत्तराभाद्रपदा 09:29:17
ञ —-उत्तराभाद्रपदा 16:10:46
दे —-रेवती 22:53:14
दो —-रेवती 29:36:34
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 21°22 ‘ आश्लेषा ,      2    डू
चन्द्र = मीन 11°23 ‘उ o भा o’     3  झ
बुध = कर्क 11 °57 ‘     पुष्य  ‘   3   हो
शुक्र= मिथुन 06°55,मृगशिरा  ‘   4    की
मंगल=मीन  26°30’       रेवती  ‘ 3   च
गुरु=धनु  25°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°40  ‘ मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 40 ‘       मूल    , 1  ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 09:06 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 14:04 – 15:43 अशुभ
गुली काल 05:48 – 07:27  अशुभ
अभिजित 11:58 -12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 07:33 – 08:26 अशुभ
?गंड मूल 16:11 – अहोरात्र अशुभ
?पंचक अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
काल 05:48 – 07:27 अशुभ
शुभ 07:27 – 09:06 शुभ
रोग 09:06 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:25 अशुभ
चर 12:25 – 14:04 शुभ
लाभ 14:04 – 15:43 शुभ
अमृत 15:43 – 17:22 शुभ
काल 17:22 – 19:02 अशुभ
?चोघडिया, रात
लाभ 19:02 – 20:22 शुभ
उद्वेग  20:22 – 21:43 अशुभ
शुभ 21:43 – 23:04 शुभ
अमृत 23:04 – 24:25* शुभ
चर 24:25* – 25:46* शुभ
रोग 25:46* – 27:06* अशुभ
काल 27:06* – 28:27* अशुभ
लाभ 28:27* – 29:48* शुभ
?होरा, दिन
शनि 05:48 – 06:54
बृहस्पति 06:54 – 07:59
मंगल 07:59 – 09:06
सूर्य 09:06 – 10:12
शुक्र 10:12 – 11:18
बुध 11:18 – 12:25
चन्द्र 12:25 – 13:31
शनि 13:31 – 14:37
बृहस्पति 14:37 – 15:43
मंगल 15:43 – 16:49
सूर्य 16:49 – 17:56
शुक्र 17:56 – 19:02
?होरा, रात
बुध 19:02 – 19:56
चन्द्र 19:56 – 20:49
शनि 20:49 – 21:43
बृहस्पति 21:43 – 22:37
मंगल 22:37 – 23:31
सूर्य 23:31 – 24:25
शुक्र 24:25* – 25:19
बुध 25:19* – 26:13
चन्द्र 26:13* – 27:06
शनि 27:06* – 28:00
बृहस्पति 28:00* – 28:54
मंगल 28:54* – 29:48
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
  15 + 5 + 7 + 1 =  28 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
  20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* निम्बार्काचार्यपीठादधीश्व परशुरामदेवाचार्य पाटोत्सव
* विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस
* रक्षा पंचमी (उड़ीसा)
*???   शुभ विचार   ???*
त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागमम् ।
कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यतः ।।
।।चा o नी o।।
   कुसंग का त्याग करे और संत जानो से मेलजोल बढाए. दिन और रात गुणों का संपादन करे. उसपर हमेशा चिंतन करे जो शाश्वत है और जो अनित्य है उसे भूल जाए.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्‌ ।,
कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम्‌ ॥,
हे अर्जुन! कल्पों के अन्त में सब भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात्‌ प्रकृति में लीन होते हैं और कल्पों के आदि में उनको मैं फिर रचता हूँ॥,7॥,

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