आज का पंचांग 29 जुलाई 2020

0
??????????
*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
??????????
*दिनाँक -: 29/07/2020,बुधवार*
दशमी, शुक्ल पक्ष
श्रावण
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-दशमी 25:15:37 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ——-विशाखा 08:32:06
योग ————-शुक्ल 15:32:48
करण ———–तैतुल 14:05:09
करण ————–गर 25:15:37
वार ————————–बुधवार
माह ————————–श्रावण
चन्द्र राशि ——————-वृश्चिक
सूर्य राशि ———————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय ————— 05:42:14
सूर्यास्त —————–19:08:47
दिन काल ————–13:26:32
रात्री काल ————-10:33:59
चंद्रोदय —————–14:25:22
चंद्रास्त —————–25:27:33
लग्न —- कर्क 12°13′ , 102°13′
सूर्य नक्षत्र ——————–पुष्य
चन्द्र नक्षत्र —————-विशाखा
नक्षत्र पाया ——————रजत
*??? पद, चरण ???*
तो —-विशाखा 08:32:06
ना —-अनुराधा 14:17:24
नी —-अनुराधा 20:03:43
नू —-अनुराधा 25:51:04
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=कर्क 12°22 ‘ पुष्य, 3 हो
चन्द्र = वृश्चिक 17°23 ‘विशाखा’ 4 तो
बुध = मिथुन 23 °57 ‘ पुनर्वसु ‘ 2 को
शुक्र= वृषभ 27°55, मृगशिरा ‘ 2 वो
मंगल=मीन 22°30’ रेवती ‘ 2 दो
गुरु=धनु 26°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 03°01 ‘ मृगशिरा , 4 की
केतु=धनु 03 ° 01 ‘ मूल , 2 यो
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 12:26 – 14:06 अशुभ
यम घंटा 07:23 – 09:04 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:26 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:52 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:59 – 12:52 अशुभ
?चोघडिया, दिन
लाभ 05:42 – 07:23 शुभ
अमृत 07:23 – 09:04 शुभ
काल 09:04 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:26 शुभ
रोग 12:26 – 14:06 अशुभ
उद्वेग 14:06 – 15:47 अशुभ
चर 15:47 – 17:28 शुभ
लाभ 17:28 – 19:09 शुभ
?चोघडिया, रात
उद्वेग 19:09 – 20:28 अशुभ
शुभ 20:28 – 21:47 शुभ
अमृत 21:47 – 23:07 शुभ
चर 23:07 – 24:26* शुभ
रोग 24:26* – 25:45* अशुभ
काल 25:45* – 27:04* अशुभ
लाभ 27:04* – 28:24* शुभ
उद्वेग 28:24* – 29:43* अशुभ
?होरा, दिन
बुध 05:42 – 06:49
चन्द्र 06:49 – 07:57
शनि 07:57 – 09:04
बृहस्पति 09:04 – 10:11
मंगल 10:11 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:26
शुक्र 12:26 – 13:33
बुध 13:33 – 14:40
चन्द्र 14:40 – 15:47
शनि 15:47 – 16:54
बृहस्पति 16:54 – 18:02
मंगल 18:02 – 19:09
?होरा, रात
सूर्य 19:09 – 20:02
शुक्र 20:02 – 20:54
बुध 20:54 – 21:47
चन्द्र 21:47 – 22:40
शनि 22:40 – 23:33
बृहस्पति 23:33 – 24:26
मंगल 24:26* – 25:19
सूर्य 25:19* – 26:11
शुक्र 26:11* – 27:04
बुध 27:04* – 27:57
चन्द्र 27:57* – 28:50
शनि 28:50* – 29:43
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
10 + 4 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = सन्ताप कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*?? विशेष जानकारी ??*
* सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग 08:32 से
* झूलन यात्रा प्रारम्भ
* बुध पूजन
*??? शुभ विचार ???*
दाने तपसि शौर्यं वा विज्ञाने विनये नये ।
विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा ।।
।।चा o नी o।।
हमें अभिमान नहीं होना चाहिए जब हम ये बाते करते है..
१. परोपकार
२. आत्म संयम
३. पराक्रम
४. शास्त्र का ज्ञान हासिल करना.
५. विनम्रता
६. नीतिमत्ता
यह करते वक़्त अभिमान करने की इसलिए जरुरत नहीं क्यों की दुनिया बहुत कम दिखाई देने वाले दुर्लभ रत्नों से भरी पड़ी है.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: विभूतियोग अo-10
नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।,
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥,
हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥,40

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More