आज का पंचांग 28 जुलाई 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 28/07/2020,मंगलवार*
नवमी, शुक्ल पक्ष
श्रावण
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-नवमी 26:58:43          तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ———-स्वाति 09:40:27
योग —————शुभ 18:04:22
करण ———-बालव 15:56:09
करण ———कौलव 26:58:43
वार ———————–मंगलवार
माह —————————श्रावण
चन्द्र राशि    ——-तुला26:47:46
चन्द्र राशि    —————–वृश्चिक
सूर्य राशि    ——————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन —————–दक्षिणायण
संवत्सर ——————— शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय————- 05:41:42
सूर्यास्त —————-19:09:23
दिन काल ————-13:27:41
रात्री काल ————10:32:50
चंद्रोदय —————13:21:22
चंद्रास्त —————24:43:23
लग्न   —-कर्क 11°16′ , 101°16′
सूर्य नक्षत्र ——————–पुष्य
चन्द्र नक्षत्र ——————-स्वाति
नक्षत्र पाया ——————-रजत
*???  पद, चरण  ???*
ता —-स्वाति 09:40:27
ती —-विशाखा 15:21:58
तू —-विशाखा 21:04:25
ते —-विशाखा 26:47:46
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 11°22  ‘        पुष्य,      3    हो
चन्द्र = तुला 17 °23  ‘   स्वाति’    4  ता
बुध = मिथुन 22 °57 ‘ पुनर्वसु  ‘   1    के
शुक्र= वृषभ 26°55, मृगशिरा  ‘      2   वो
मंगल=मीन  22°30’     रेवती  ‘ 2    दो
गुरु=धनु  26°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 03°10  ‘  मृगशिरा ,   4  की
केतु=धनु  03 ° 10 ‘       मूल    , 2  यो
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 15:47 – 17:28 अशुभ
यम घंटा 09:04 – 10:45 अशुभ
गुली काल 12:26 – 14:07  अशुभ
अभिजित 11:59 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:23 – 09:17 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:22 – 24:16* अशुभ
?चोघडिया, दिन
रोग 05:42 – 07:23 अशुभ
उद्वेग 07:23 – 09:04 अशुभ
चर 09:04 – 10:45 शुभ
लाभ 10:45 – 12:26 शुभ
अमृत 12:26 – 14:07 शुभ
काल 14:07 – 15:47 अशुभ
शुभ 15:47 – 17:28 शुभ
रोग 17:28 – 19:09 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 19:09 – 20:29 अशुभ
लाभ 20:29 – 21:48 शुभ
उद्वेग 21:48 – 23:07 अशुभ
शुभ 23:07 – 24:26* शुभ
अमृत 24:26* – 25:45* शुभ
चर 25:45* – 27:04* शुभ
रोग 27:04* – 28:23* अशुभ
काल 28:23* – 29:42* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 05:42 – 06:49
सूर्य 06:49 – 07:56
शुक्र 07:56 – 09:04
बुध  09:04 – 10:11
चन्द्र 10:11 – 11:18
शनि 11:18 – 12:26
बृहस्पति 12:26 – 13:33
मंगल 13:33 – 14:40
सूर्य 14:40 – 15:47
शुक्र 15:47 – 16:55
बुध 16:55 – 18:02
चन्द्र 18:02 – 19:09
?होरा, रात
शनि 19:09 – 20:02
बृहस्पति 20:02 – 20:55
मंगल 20:55 – 21:48
सूर्य 21:48 – 22:40
शुक्र 22:40 – 23:33
बुध 23:33 – 24:26
चन्द्र 24:26* – 25:19
शनि 25:19* – 26:11
बृहस्पति 26:11* – 27:04
मंगल 27:04* – 27:57
सूर्य 27:57* – 28:50
शुक्र 28:50* – 29:42
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
     9 + 3 + 1 =  13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
    9 + 9 + 5 =  23 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* मंगला गौरी पूजन
* कुमारी पूजन
*श्री हरि जयन्ती
*???   शुभ विचार   ???*
धर्माख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत् ।
सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत्को न मुच्येत बन्धनात् ।।
।।चा o नी o।।
    वह व्यक्ति क्यों मुक्ति को नहीं पायेगा जो निम्न लिखित परिस्थितियों में जो उसके मन की अवस्था होती है उसे कायम रखता है…
जब वह धर्म के अनुदेश को सुनता है.
जब वह स्मशान घाट में होता है.
जब वह बीमार होता है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: विभूतियोग अo-10
दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम्‌ ।,
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम्‌ ॥,
मैं दमन करने वालों का दंड अर्थात्‌ दमन करने की शक्ति हूँ, जीतने की इच्छावालों की नीति हूँ, गुप्त रखने योग्य भावों का रक्षक मौन हूँ और ज्ञानवानों का तत्त्वज्ञान मैं ही हूँ॥,38॥,

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