| जय श्री राधे |
महर्षि पाराशर पंचांग
अथ पंचांगम्
जय श्री राधे
??????????दिनाँक -:24/07/2020,शुक्रवार
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष
श्रावण
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)तिथि ———-चतुर्थी 14:33:43 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ———पू०फा०16:01:37
योग ———-वरियान 08:57:14
करण ——विष्टि भद्र 14:33:43
करण ————-बव 25:17:40
वार ————————-शुक्रवार
माह —————————श्रावण
चन्द्र राशि ——सिंह 21:35:36
चन्द्र राशि ——————कन्या
सूर्य राशि ———————-कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942वृन्दावन
सूर्योदय —————–05:39:35
सूर्यास्त —————–19:11:36
दिन काल ————-13:32:01
रात्री काल ————-10:28:30
चंद्रोदय —————–09:07:52
चंद्रास्त —————–22:10:19लग्न —-कर्क 7°26′ , 97°26′
सूर्य नक्षत्र ——————–पुष्य
चन्द्र नक्षत्र ———–पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र पाया ——————–रजत*??? पद, चरण ???*
टी —-पूर्वाफाल्गुनी 10:27:28
टू —-पूर्वाफाल्गुनी 16:01:37
टे —-उत्तराफाल्गुनी 21:35:36
टो —-उत्तराफाल्गुनी 27:09:30
? ग्रह गोचर ?
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
======================
सूर्य=कर्क 07°22 ‘ पुष्य, 2 हे
चन्द्र = सिंह 20 °23 ‘पू oफा o ‘ 2 मी
बुध = मिथुन 17 °57 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ
शुक्र= वृषभ 23°55, मृगशिरा ‘ 1 वे
मंगल=मीन 20°30’ रेवती ‘ 2 दो
गुरु=धनु 26°22 ‘ उ oषाo , 1 भे
शनि=मकर 05°43’ उ oषा o ‘ 4 जी
राहू=मिथुन 03°20 ‘ मृगशिरा , 4 की
केतु=धनु 03 ° 20 ‘ मूल , 2 यो?शुभा$शुभ मुहूर्त?
राहू काल 10:44 – 12:26 अशुभ
यम घंटा 15:49 – 17:30 अशुभ
गुली काल 07:21 – 09:03 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:22 – 09:16 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:53 – 13:47 अशुभ?चोघडिया, दिन?
चर 05:40 – 07:21 शुभ
लाभ 07:21 – 09:03 शुभ
अमृत 09:03 – 10:44 शुभ
काल 10:44 – 12:26 अशुभ
शुभ 12:26 – 14:07 शुभ
रोग 14:07 – 15:49 अशुभ
उद्वेग 15:49 – 17:30 अशुभ
चर 17:30 – 19:12 शुभ?चोघडिया, रात?
रोग 19:12 – 20:30 अशुभ
काल 20:30 – 21:49 अशुभ
लाभ 21:49 – 23:07 शुभ
उद्वेग 23:07 – 24:26* अशुभ
शुभ 24:26* – 25:44* शुभ
अमृत 25:44* – 27:03* शुभ
चर 27:03* – 28:22* शुभ
रोग 28:22* – 29:40* अशुभ?होरा, दिन?
शुक्र 05:40 – 06:47
बुध 06:47 – 07:55
चन्द्र 07:55 – 09:03
शनि 09:03 – 10:10
बृहस्पति 10:10 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:26
सूर्य 12:26 – 13:33
शुक्र 13:33 – 14:41
बुध 14:41 – 15:49
चन्द्र 15:49 – 16:56
शनि 16:56 – 18:04
बृहस्पति 18:04 – 19:12?होरा, रात?
मंगल 19:12 – 20:04
सूर्य 20:04 – 20:56
शुक्र 20:56 – 21:49
बुध 21:49 – 22:41
चन्द्र 22:41 – 23:33
शनि 23:33 – 24:26
बृहस्पति 24:26* – 25:18
मंगल 25:18* – 26:11
सूर्य 26:11* – 27:03
शुक्र 27:03* – 27:55
बुध 27:55* – 28:48
चन्द्र 28:48* – 29:40
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।*?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll**? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*4 + 6 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l? शिव वास एवं फल –
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक,दुःख कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।दोपहर 14:34 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*?? विशेष जानकारी ??*
* चतुर्थी व्रत (दूर्वा गणपति पूजन)
* बलभद्राचार्य पाटोत्सव
*??? शुभ विचार ???*
पुनर्वित्तम्पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही ।
एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः ।।
।।चा o नी o।।आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: विभूतियोग अo-10
मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम् ।,
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥,मैं सबका नाश करने वाला मृत्यु और उत्पन्न होने वालों का उत्पत्ति हेतु हूँ तथा स्त्रियों में कीर्ति (कीर्ति आदि ये सात देवताओं की स्त्रियाँ और स्त्रीवाचक नाम वाले गुण भी प्रसिद्ध हैं, इसलिए दोनों प्रकार से ही भगवान की विभूतियाँ हैं), श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ॥,34॥,