ईरान द्वारा मेगा रेल लाइन प्रोजेक्ट से भारत को अलग करने पर वित्त मंत्रालय पर भड़के सुब्रमण्यम स्वामी

0

भारत-चीन सी’मा विवा’द के बीच ईरान के बीजिंग के करीब जाने पर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ना’रा’जगी जाहिर की है। दरअसल ईरान ने चाबहार पो’र्ट को अफगानिस्तान से स’टी अपनी सीमा के नजदीक जाहेदान को जोड़ने वाले बेहद अहम रेल लाइन प्रॉजेक्ट से भारत को अलग करने के ऐलान किया है।

तेहरान ने अपने इस फैसले की वजह भारत से फंड मिलने में देरी को बताया है।  एक खबर के मुताबिक ईरान ने अपने आप ही इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का फैसला लिया है और इस पर काम शुरू भी कर दिया है। करीब 628 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग को बिछाने का काम बीते हफ्ते शुरू हो गया है।

भारत को इस प्रोजेक्ट से अलग करने के अलावा ईरान की चीन के साथ एक महत्व’कां’क्षी डील भी हुई है। दोनों देशों के बीच हुई ये रण’नी’तिक और व्यापारिक डी’ल अगले 25 सालों तक मान्य होगी। खास बात है कि इस सम’झौ’ते के बाद ही भारत को चाबहार से अलग करने वाली खबर आई।

दोनों घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि ईरान की मित्रता का दृष्टि’कोण चीन की तरफ शिफ्ट होना हमारी विदेश नीति के लिए सबसे  नकारात्मक घटनाक्रम है। सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार (15 जुलाई, 2020) को ट्वीट कर कहा कि ये ईरान में रेलवे निर्माण के लिए धन जारी करने में वित्त मंत्रालय की कं’जूसी की वजह से हुआ है।

आपको बता दें कि चाबहार परियोजना भारत के लिए रणनीतिक तौर पर एक महत्वपूर्ण परियोजना रही है। इसके जरिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय यातायात मार्ग स्थापित करना चाहता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत की तरफ से इरकॉन को इस प्रोजेक्ट में शामिल होना था। इरकॉन ने इस रेल प्रोजेक्ट के लिए सभी सेवाएं, सुपरस्ट्रक्टर वर्क और करीब 1.16 अरब रुपए का आर्थिक सहयोग देने का वा’दा किया था।

इधर स्वामी के ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स ज’मकर प्र’तिक्रि’या दे रहे हैं। ट्विटर यूजर विनोद अग्रवाल @vinodagrawal58 लिखते हैं, ‘एक नई वैश्विक व्यवस्था उभर रही है। चीनी हर छोटे देश को प्राकृतिक संसाधनों के साथ खरीदने की कोशिश कर सकता है लेकिन यह कभी भी सफल नहीं होगा।’ एक यूजर @HinduHridayasya लिखते हैं कि छह साल में पीएम मोदी ने कुछ भी नहीं समझा।

जतिंदर सिंह JatinderSingh_5 लिखते हैं, ‘चीन हमारे बंदरगाहों के लिए म्यांमार के बंदरगाहों पर भी नजर गड़ाए हुए है। अब पीओके, काराकोरम पास और गिलगित बाल्टिस्तान पर क’ब्जा करना म’हत्वपू’र्ण है।

भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में व’र्चस्व स्थापित करना चाहिए। तिब्बत को आजाद कराने के लिए ऐसा कदम उठाने की जरुरत है जो पहले नहीं किया।’ ऐसे ही एक यूजर @bhupen_kr लिखते हैं, ‘मगर ईरान भी इस परियोजना में देरी कर रहा है। भारतीय पक्ष केवल यहां दो’ष देने के लिए है। ईरान वास्तव में भारत का मित्र नहीं है क्योंकि वे हमेशा पा’किस्तान के साथ रहते थे।’

Ca

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More