भारत और नेपाल में विवाद के कारण
“हमारी पीढ़ियां गुजर गईं. हम बच्चे से बुजुर्ग हो गए. लेकिन आज तलक कभी अहसास नहीं हुआ कि यह दो देशों की सीमा है. दोनों तरफ के लोगों का दूसरे के यहां रोज़ का आना-जाना, लेन-देन, खाना-पीना रहा है. रिश्ते-नाते हैं. लेकिन पता नहीं! अब किसकी नज़र लग गई? और देखिए ना! झगड़ा भी हुआ तो उस जगह के लिए जहां दोनों तरफ का साझा बाजार लगता था. इन दिनों सब खत्म हो गया है. आना-जाना तो बंद है ही, अब बातचीत भी बंद हो गई है. लोग एक दूसरे को दुश्मन समझने लगे हैं. आंख से आंख तक नहीं मिलाते.”
बिहार के मोतिहारी शहर से करीब 47 किमी दूर भारत और नेपाल की सीमा पर बसे ढाका प्रखंड के गुआबाड़ी गांव के बुजुर्ग लक्ष्मी ठाकुर जमीन के उस झगड़े के बारे में बता रहे थे, जिसकी वज़ह से दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल पैदा हो गया है.
नेपाल ने बिहार के पूर्वी चंपारण से सटी सीमा के पास लालबकेया नदी के किनारे भारत की तरफ से बनाए जा रहे तटबंध निर्माण पर आपत्ति जताई और यह दावा किया कि तटबंध का निर्माण नेपाल की ज़मीन पर हो रहा है. इस वजह से तटबंध निर्माण का काम रुक गया है.
पूर्वी चंपारण के ज़िलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक बीबीसी से कहते हैं, “तटबंध निर्माण का लगभग 99 फीसदी काम पूरा हो चुका था. लेकिन अब नेपाली प्रशासन की आपत्ति के बाद हमें आखिरी के हिस्से का काम रोकना पड़ा है. हमारी समझ से पिलरों के इधर-उधर हो जाने से विवाद हुआ है.”
डीएम ने आगे कहा ,”शुरुआत में स्थानीय स्तर पर बातचीत कर मामला सुलझाने की तमाम कोशिशें हुईं, लेकिन फिर भी बात नहीं बन पाई. अब एक नया सर्वे कराना होगा. यह अंतरराष्ट्रीय सीमा का मसला है इसलिए हमने वस्तु स्थिति के बारे में राज्य और केंद्र सरकार को अवगत करा दिया है. अब आगे का फैसला उन्हें ही करना है.”