केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी, देश के किसानों से माफी मांगे-किसान संघर्ष समिति

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केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बहुत ज्यादा बताते हुए इन्हें देश
की अर्थव्यवस्था के लिये बड़ा खतरा बताया। केन्द्रीय परिवहन मंत्री जी उद्योगपति और पूँजीपतियों के हाथ की
कठपुतली हैं, यह स्पष्ट तौर पर उनके कथनों से दिखाई दे रहा है।
कुछ दिन पहले केन्द्र सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बड़ी वृद्धि की घोषणा की गई, वह पाँच साल
कि सालाना वृद्धि के मुकाबले प्रतिशत में सबसे कम है। मध्यप्रदेश में गेंहू का समर्थन मूल्य 1925.00 रूपये
प्रति क्विंटल तथा मक्के का समर्थन मूल्य 1760.00 रूपये क्विंटल होने के बावजूद मक्का 800-900 रूपये
क्विंटल में खरीदा जा रहा है, तथा गेंहू 1600 से 1700 रूपये क्विंटन में खरीदा जा रहा है।
देश कोरोना की महामारी के चपेट में है, मंत्रियों के वेतन और भत्ता में लगातार वृद्धि हो रही है इसका विरोध
केन्द्रीय परिवहन मंत्री ने नही किया।
भारत की अर्थव्यवस्था को धराशायी होने से अगर किसी ने बचाया है तो, वह भारत का किसान है और भारत के
किसान का सम्मान करना तो दूर, कृषिक्षेत्र पर लांछन लगाकर मंत्री जी ने किसानों का अपमान किया है। जिस
दिन न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा की गई थी उस दिन कृषि मंत्री के साथ परिवहन मंत्री भी मौजूद थे।
सरकार की स्थापना जन कल्याण के कार्यक्रम चलाने की है।
भारत के संविधान के आर्टीकल (अनुच्छेद) 48 में किसानों की आर्थिक दशा सुधारने का उल्लेख किया गया है।
अत्यंत दुःख के साथ मुझे यह कहना पड़ रहा है कि हमारी सरकारें, संविधान को मिटाने पर तुली हुई है। शराब
माफिया तथा पशुआहार बनाने वाले उद्योगों का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार की किसान संघर्ष समिति घोर
निन्दा करती है।
केन्द्र में बैठी भाजपा की सरकार कृषि उत्पाद का समर्थन मूल्य पर बिक्री की व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर
किसानों को बाजार के हवाले कर चुकी है। देश के किसानों को यह उम्मीद थी कि, किसानों की सरकार का
राग अलापती केन्द्र एवं राज्य की भाजपा की सरकार समर्थन मूल्य से कम पर बिक्री करने वाले व्यापारी को
जेल का रास्ता दिखायेगी, लेकिन सरकार व्यापारी को लाभ पहुँचाती स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है, और नितिन
गड़करी जी का कथन इसका समर्थन करता दिखाई पड़ रहा है।
तालाबंदी खुल चुकी है, उद्योगों द्वारा उत्पादित सामान खरीदने का इंतजार बाजार कर रहा है। बाजार खुलने के
बाद भी लोग खरीदी के लिए नही पहुँच रहे है, लेकिन किसान द्वारा उत्पादित सब्जी, फल, दूध, अनाज की मांग
बाजार में है।
मंत्री जी किसी अन्य क्षेत्र के मुकाबले भारत आज भी सही मामले में आत्म निर्भर है। यदि आप की सरकार
अनाज के गोदाम खोल दे तो देश के किसान की बदौलत देश का कोई भी नागरिक भूखा नही सोयेगा। जरूरत
है देश के किसानों को आधुनिक तरीके की सुविधाऐं उपलब्ध कराने, उन्नत किस्म के बीज, जैविक खाद, बिजली
तथा पानी उपलब्ध कराने की, किसान को कर्जा मुक्त करने तथा लागत से डेढ़ गुना दाम प्रत्येक कृषि उत्पाद
को देने की, दूध पैदा करने वाले किसान को 10 (दश प्रतिशत) सब्सिडी देने की।
वर्तमान में दूध पैदा करने वाले किसान को कोई सब्सिडी नही दी जाती। देश में जितनी दूध की खपत है उससे
आधा दूध का उत्पादन है जिसका परिणाम यह है कि बाजार में नकली दूध बेचा जा रहा है, जो मानव जीवन के
लिये खतरा है। धरती पुत्र अपनी धरती माता से जुड़ हुआ है उसे देश के नीति निर्माता क्या नीतियां बना रहे है,
किस जोड़-तोड़ में लगे हए है इससे कोई वास्ता नही रखता।
हरिशंकर पाराशर-राष्ट्रीय जजमेंट, (कटनी) M P

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