मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर शौचालय में रोके गए प्रवासी मजदूर , शर्मनाक

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कोरोना महामारी में मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. वे पैदल चल रहे हैं. उनके पैरों में छाले पड़ गए हैं. बहुत से मजदूर रेल की पटरियों के किनारे चल रहे हैं, ना जाने ऐसी कितनी तस्वीरों ने हमें विचलित किया है. एक तस्वीर प्रवासी मजदूरों की मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बने कोटा नाका से आई है, जहां पर प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार को शौचालय में ठहराया गया है.
कोटा नाका के नाम से पहचाने जाने वाली ये जगह मध्य प्रदेश के शिवपुरी और राजस्थान के बांरा जिले की सीमा को जोड़ती है. प्रवासी मजदूरों को यहां पर बने शौचालय में ठहराया गया है. यहीं पर ये लोग खाना बनाने और खाने-पीने के लिए मजबूर हैं. सरकार की तरफ से खाना मिल रहा है, लेकिन खराब खाने की शिकायत बार-बार की जा रही है.
मजदूर महिलाओं का कहना है कि हम लोगों को शौचालय में ठहराया गया है. हम जयपुर से यहां आए हैं. बेलदारी का काम करते थे. यहां खाना तो मिला है, लेकिन रोटियां कच्ची मिल रही हैं. ऐसे में तबीयत खराब होने का खतरा भी बढ़ गया है. यहां आस-पास कोई डॉक्टर तक नहीं है. अब गांव में ही खेती करके गुजारा करेंगे. कोरोना खत्म होने के बाद भी वापस नहीं आएंगे
राज्य से बाहर जाने वाले प्रवासी मजदूरों को पहले मध्य प्रदेश की सीमा तक वाहनों से छोड़ा गया. राजस्थान के जयपुर के नाके पर करीब ढाई सौ मजदूरों को छोड़ा गया है. यहां से इन मजदूरों को बसों में बैठाकर अपने घर छोड़ने की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश सरकार की है
इस पूरे मामले पर जिले के अपर कलेक्टर का कहना है कि हमने प्रवासी मजदूरों के ठहरने और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की है और जहां तक शौचालय में रुकने की बात है, हम इसकी जांच करेंगे और जिसकी भी लापरवाही होगी उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा.

 

अंशुल शर्मा राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता अलीगंज  ✍️

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