कासगंज : उपचार के अभाव में गर्भवती महिला ने दम तोड़ा।

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कासगंज। एक तो गरीबी और ऊपर से सरकारी चिकित्सा का अभाव गर्भवती महिला के लिए मौत का सबब बन गया। यदि श्रमिक रिंकू की हैसियत होती तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को व्यक्तिगत रूप से चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराकर उसकी जान बचा सकता था। लेकिन गरीबी उसके आड़े आ गई और उसने दुनिया में आने से पूर्व अपने अजन्मे बच्चे और अपनी पत्नी को खो दिया।
निजी चिकित्सालय में उपचार करवाने की नहीं थी हैसियत।
यह कहानी फिल्मी नहीं वल्कि कड़वी वास्तविकता है, कासगंज कोतवाली क्षेत्र के ग्राम ततारपुर में स्थित कांशीराम आवासीय कॉलोनी के ब्लॉक 78  के निवासी श्रमिक रिंकू की पत्नी रूबी 9 माह की गर्भवती थी। उसकी 2 दिन पूर्व अचानक तबीयत बिगड़ी आनन-फानन में रिंकू एवं उसके परिजन रूबी को जिला चिकित्सालय ले गए। यहां कोरोना के कहर के चलते चिकित्सकों ने चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध नहीं कराई और महिला की गंभीर हालत बताते हुए गहन चिकित्सा के लिए अन्यत्र रेफर कर दिया।
रिंकू ने व्यक्तिगत रूप से अपनी पत्नी को चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया लेकिन व्यक्तिगत चिकित्सकों ने उसकी हैसियत से अधिक रकम बताए जाने पर, श्रमिक रिंकू का हौसला टूट गया। क्योंकि, उसके पास न कोई जमा पूंजी थी ना उसके इष्ट मित्र ने सहयोग किया वह अपनी पत्नी को लेकर घर आ गया गुरुवार की सुबह उसकी पत्नी ने चिकित्सीय अभाव में दम तोड़ दिया। जब श्रमिक रिंकू के घर में चीत्कार मचा तो उसके पास पड़ोसी एवं इष्ट मित्र भी घर पर एकत्रित हो गए। सबकी जुबान पर एक ही चर्चा थी कि या तो सरकारी चिकित्सीय सेवाएं रूबी को मिल जाते हैं
या फिर रिंकू की इतनी हैसियत होती कि वह व्यक्तिगत रूप से अपनी पत्नी को चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध करा सकता तब ही ऐसी स्थिति में रूबी की जान बच सकती थी। इस घटनाक्रम को लेकर सीएमओ डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव से बातचीत करने का प्रयास किया गया। उन्होंने अपनी व्यस्तता एवं प्रकरण के संबंध में कोई जानकारी ना होने की बात कहकर टाल दिया है।

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