देवरिया के गुड़ को दुनियाभर में पहुंचाएगी आईआईएम-इंदौर की टीम

0
देवरिया। पूर्वांचल के पिछड़े जिलों में शुमार देवरिया में अब देश-दुनिया में नई पहचान बनाने की उम्मीदें जगने लगी हैं। शुक्रवार को आईआईएम–इंदौर के निदेशक के साथ तीन प्रफेसर की एक टीम देवरिया के विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए पहुंची। इस टीम ने देवरिया के गुड़ की मिठास को दुनिया को चखाने के साथ इसकी ब्रैंडिंग व प्रमोशन के लिए रणनीति पर चर्चा की।
देश के नामचीन प्रबंधन संस्थान आईआईएम-इंदौर ने अपने डेस्टिनेशन डिवेलपमेंट के लिए देवरिया जिले को चुना है। इस जिले की लोककला से लेकर हस्तकला के हुनर को दुनिया में बिखेरने के लिए आईआईएम-इंदौर के निदेशक डॉक्टर हिमांशु राय खुद इस जिले में आए। डिवेलपमेंट डेस्टिनेशन के तहत आईआईएम-इंदौर के निदेशक और देवरिया के डीएम अमित किशोर के बीच एक समझौता पत्र भी हस्ताक्षर हुआ। डेस्टिनेशन डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत सबसे देवरिया के हस्तकला उत्पादों के लिए 24 व 25 सितंबर को प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

गुड़ से तैयार किए जाएंगे कई और प्रॉडक्ट

आईआईएम-इंदौर की टीम देवरिया जिले के 20 उत्पादों को चिह्नित करने के साथ इनको दुनिया के बाजार में छाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में दिल्ली और कोलकाता में प्रदर्शनी लगाने के साथ इनकी ऑनलाइन मार्केटिंग की भी रणनीति तैयार करेगी। देवरिया के गुड़ से लेकर विभिन्न उत्पादों को ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनियों के मार्फत दुनियाभर में बेचने की योजना भी काम किया जाएगा।
प्रदेश में 2006 तक 14 चीनी मिलों के कारण देवरिया की चीनी और गुड़ की जो पहचान थी, वह समय के साथ कदमताल न करने के साथ घटती गई। आज की तारीख में सिर्फ एक चीनी मिल काम कर रही है। आईआईएम इंदौर के निदेशक ने कहा गुड़ के विभिन्न उत्पाद को दुनिया के सामने नए सिरे से परोसने के लिए हम काम करेंगे। आईआईएम इंदौर के निदेशक डॉक्टर हिमांशु राय ने इस मौके पर अपने पैतृक गांव कतौरा भी गए। इस गांव को वह आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने का ब्लूप्रिंट बनाने में जुटे हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More