योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहला प्रशासनिक फेरबदल आधी रात बाद

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योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहला प्रशासनिक फेरबदल सोमवार आधी रात बाद किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यालय में सचिव स्तर के अधिकारियों के
रिक्त दोनों पदों पर तैनाती के साथ 20 आईएएस व चार पीसीएस अधिकारियों को इधर से उधर किया है।
इनमें लखनऊ के मंडलायुक्त अनिल गर्ग भी हटा दिए गए हैं।
उनके स्थान पर मुकेम कुमार मेश्राम को तैनाती दी गई है।
1995 बैच के आईएएस अधिकारी व यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक संजय प्रसाद
और 1998 बैच के आईएएस अधिकारी व खाद्य आयुक्त आलोक कुमार-तृतीय को मुख्यमंत्री का सचिव बनाया गया है।
दोनों ही अधिकारी बिहार के मूल निवासी हैं।
संजय सीतामढ़ी के तो आलोक पटना के रहने वाले हैं।
सचिव मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत 1995 बैच के आईएएस अधिकारी मृत्युंजय नारायण के
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने और 2000 बैच के आईएएस मनीष चौहान को गन्ना आयुक्त बनाए जाने के बादे से ही ये पद खाली चल रहे थे।

1996 बैच केआईएएस अधिकारी अनिल गर्ग को
योगी सरकार आने के बाद अप्रैल 2017 में लखनऊ का मंडलायुक्त बनाया गया था।
दो वर्ष चार महीने बाद अनिल को हटाकर राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ के पद पर कानपुर भेजा गया है।
उनकी जगह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी
व सचिव चिकित्सा शिक्षा मुकेश कुमार मेश्राम लखनऊ के नए मंडलायुक्त बनाए गए हैं।

भूसरेड्डी को फिर गन्ना आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार
शासन ने गन्ना आयुक्त मनीष चौहान का तबादला खाद्य आयुक्त के पद पर कर दिया है।

प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी को फिर से गन्ना आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है।
मनीष के पहले भी भूसरेड्डी गन्ना आयुक्त की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
विशेष सचिव कृषि उत्पादन आयुक्त शाखा महेंद्र बहादुर सिंह को अपर आयुक्त गन्ना बना दिया गया है।

जल निगम की कमान आईएएस अफसरों के हवाले
शासन ने जल निगम की व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए निगम के प्रबंधन की पूरी व्यवस्था आईएएस अधिकारियों के हवाले कर दी है।
शासन ने जल निगम का नया प्रबंध निदेशक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विकास गोठलवाल को बना दिया है।
वह अभी तक सचिव नगर विकास थे।
इसके अलावा निगम में संयुक्त प्रबंध निदेशक के दो पदों पर आईएएस अधिकारी व विशेष सचिव गृह संजय कुमार खत्री व सीडीओ गाजियाबाद रमेश रंजन की तैनाती की है।
पहले इन पदों की जिम्मेदारी इंजीनियरों के पास होती थी।

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