चीनी हैंडलर से जुड़े अंतरराज्यीय फ्रॉड सिंडिकेट का भंडाफोड़, दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने चीनी कनेक्शन वाले बड़े साइबर फ्रॉड सिंडिकेट को ध्वस्त कर दिया। यह गैंग फर्जी कंपनियों के जरिए लोगों को ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट के नाम पर ठगता था और पैसा क्रिप्टोकरेंसी के जरिए चीन भेजता था। मामले की शुरुआत एक 61 साल के बुजुर्ग के साथ हुई 33 लाख रुपये की ठगी से हुई, जिसके बाद साइबर सेल ने पीछा किया तो पूरा नेटवर्क बेनकाब हो गया।

डीसीपी आदित्या गौतम ने बताया कि जांच में पता चला कि ठगी का पैसा फर्जी कंपनी बेलक्रेस्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खातों में गया। कंपनी के डायरेक्टर शिवम सिंह (फैजाबाद, यूपी) और लक्ष्य (दिल्ली) थे। 19 नवंबर को लक्ष्य को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने कबूला कि उसने 20 हजार रुपये महीना लेकर फर्जी कंपनी बनाई, बैंक अकाउंट खोले और चेकबुक-सिम कार्ड अपने साथी शुभम को सौंपे थे।

लगातार छापेमारी और तकनीकी निगरानी के बाद साइबर सेल की टीम ने 6 दिसंबर को तिलक नगर से मुख्य आरोपी शुभम को दबोच लिया। शुभम बार-बार सिम बदलकर पुलिस को चकमा दे रहा था, लेकिन इंस्पेक्टर अशोक, एसआई भाग्यश्री और हेड कांस्टेबल दिनेश की टीम ने उसे पकड़ ही लिया। टीम ने 1 लैपटॉप, 2 मोबाइल फोन, 5 चेकबुक और 6 डेबिट कार्ड बरामद किया।

डीसीपी ने बताया कि पूछताछ में शुभम ने खुलासा किया कि उसका हैंडलर उसे कई शेल कंपनियों के तीसरे-चौथे लेयर के अकाउंट देता था। इनमें विभिन्न कंपनियां शामिल थीं। पैसा पहले बेलक्रेस्ट में आता, फिर मल्टी लेयर अकाउंट्स से घूमकर क्रिप्टोकरेंसी खरीदा जाता और चीनी कंपनी “कूल पे” को बेच दिया जाता। फिर वही USDT दोबारा खरीदकर साइकिल चलती रहती थी। लक्ष्य की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही शुभम ने बेलक्रेस्ट की चेकबुक फाड़ दी और सिम तोड़ दी, लेकिन पुलिस ने वो फोन भी बरामद कर लिया। पुलिस का कहना है कि इस गिरफ्तारी से न सिर्फ 33 लाख की ठगी का केस सुलझ गया है, बल्कि कई राज्यों में चल रहे दर्जनों फ्रॉड केस की कड़ियां भी जुड़ रही हैं। आगे की जांच जारी है।

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