दिल्ली पुलिस ने रचा इतिहास: बीएनएसएस के तहत पहली बार फरार आरोपी पर अनुपस्थिति में हत्या के आरोप तय

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने नई आपराधिक कानून व्यवस्था के तहत एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। आउटर नॉर्थ जिले ने बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 356 के तहत पहली बार फरार आरोपी पर अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने का प्रावधान लागू किया। 68 वर्षीय रामेश भारद्वाज की हत्या के मामले में फरार आरोपी जितेंद्र मेहतो पर कोर्ट ने हत्या, अपहरण और साजिश के आरोप तय कर दिए। यह दिल्ली पुलिस का पहला ऐसा केस है, जहां आरोपी के बिना कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किया, जो पुरानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) में नामुमकिन था।

डीसीपी आउटर नॉर्थ हरीश्वर स्वामी ने बताया कि बीती 28 जनवरी को रामेश भारद्वाज अपनी सफेद जूपिटर स्कूटर पर नरेला गए थे, लेकिन घर नहीं लौटे। अगले दिन उनकी बेटी ने नरेला इंडस्ट्रियल एरिया थाने में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई। संदेह होने पर धारा 140(3) बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज हुई, जो बाद में हत्या में बदलकर धारा 140(2) में अपग्रेड हो गई। जांच में पता चला कि जितेंद्र मेहतो, जो रामेश का पुराना नौकर था, भी उसी दिन गायब हो गया था। रामेश को हाल ही में मुकुंदपुर में प्लॉट बेचने के 4.5 लाख रुपये मिले थे और आखिरी बार उसे जितेंद्र के साथ देखा गया था।

जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सुधीर राठी ने सीडीआर, लोकेशन डेटा और गवाहों के बयानों से चेन बनाई। आजादपुर, भारोला, मुकुंदपुर, रोहिणी, भलस्वा और नरेला में बड़े छापे मारे गए, लेकिन जितेंद्र फरार रहा। पारंपरिक सुराग खत्म होने पर डिजिटल सर्विलांस का सहारा लिया। 12 फरवरी 2025 को इंस्टाग्राम एक्टिविटी ट्रैकिंग से जितेंद्र के बेटे अभिषेक उर्फ विशाल (19) का पता चला। पूछताछ में अभिषेक ने कबूल किया कि उसके पिता ने 28 जनवरी को रामेश की हत्या कर दी और उसके साथ मिलकर शव को गनny बैग में पैक कर लोकल ड्रेन में फेंक दिया। अभिषेक ने रामेश के बेटे लव भारद्वाज पर भी साजिश का आरोप लगाया, जो फैमिली डिस्प्यूट से उपजा था। अभिषेक के बयान पर सड़े हुए शव की बरामदगी हुई।

फरार जितेंद्र को पकड़ने के लिए 25 मार्च को नॉन-बेलेबल वारंट जारी हुआ। 11 जुलाई को कोर्ट ने उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर (पीओ) घोषित किया। 25 अगस्त को धारा 355 बीएनएस के तहत पीओ चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें अनुपस्थिति में ट्रायल की मांग की गई। आखिरकार, 18 नवंबर को रोहिणी कोर्ट की प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज निशा सहाय सक्सेना ने ऐतिहासिक आदेश जारी किया। उन्होंने धारा 238(ए)/140(1)/103(1)/61(2)/3(5) बीएनएस के तहत जितेंद्र पर आरोप तय किए, जो आईपीसी की धारा 201/364/302/120बी/34 से मेल खाते हैं। यह ट्रायल इन एब्सेंटिया अभिषेक उर्फ विशाल के साथ चलेगा।

डीसीपी स्वामी ने बताया कि यह नया कानून पुरानी सीआरपीसी से बिल्कुल अलग है। पुराने कानून में फरार आरोपी के कारण केस रुक जाता था, लेकिन बीएनएसएस धारा 356 गंभीर अपराधों (मौत, उम्रकैद या 10 साल से ज्यादा सजा वाले) में पीओ के खिलाफ ट्रायल चलाने की इजाजत देता है। जज सक्सेना दिल्ली की पहली ज्यूडिशियल ऑफिसर हैं, जिन्होंने यह प्रावधान लागू किया। एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर गिरीश गिरी ने पहली बार इस धारा पर बहस की। एसएचओ मनोज कुमार यादव और एसीपी राकेश कुमार ने आईओ को गाइड किया, जबकि जॉइंट सीपी विजय सिंह ने रेगुलर मीटिंग्स से सभी रेंज को निर्देश दिए।

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हुसैन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया जैसे केसों से प्रेरित है, जो भारत को फ्रांस, इटली और अमेरिका जैसे देशों के साथ लाइन-अप करता है। अब फरार आरोपी न्याय को लटका नहीं सकेंगे। जांच जारी है और जितेंद्र की तलाश की जा रही है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More