पिता की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाल रहे सचिन पायलट, जानिए रोचक बातें

राष्ट्रीय जजमेंट

देश के एक जाने-माने राजनेता सचिन पायलट आज यानी की 07 सितंबर को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह चर्चित राजनीतिक हस्ती रहे राजेश पायलट के बेटे हैं और फिलहाल राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इसके अलावा सचिन पायलट 15वीं लोकसभा में केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं सचिन राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं। लेकिन बाद में उनको इस पद से हटा दिया गया था। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर सचिन पायलट के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 07 सितंबर 1977 को सचिन पायलट का जन्म हुआ था। इनका राजनीतिक जीवन राजस्थान में गुजरा और इनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। पायलट की शुरूआती शिक्षा नई दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल में हुई। इसके बाद पायलट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री की। उन्होंने अमरीका स्थित पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री प्राप्त की।
भारत वापस आने के बाद साल 2002 में अपने पिता के जन्मदिन के मौके पर 10 फरवरी को वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। राजनीति में आने के बाद सचिन पायलट 26 साल की उम्र में 14वीं लोकसभा के लिए राजस्थान के दौसा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के सबसे कम उम्र के सांसद बने। फिर साल 2009 में वह लोकसभा चुनाव वह अजमेर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए और यूपीए सरकार में राज्य मंत्री बनें।सचिन पायलट ने केंद्र सरकार में विभिन्न समितियों को अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अजमेर सीट से हार गए। फिर उनको इसी साल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाकर पार्टी को सरकार में लाने का प्रयास किया। फिर साल 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में लेकर आए, इस दौरान उनके सीएम बनने की संभावना थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत को सीएम बनाया, तो सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
हालांकि सीएम गहलोत से कुछ राजनीतिक मुद्दों पर मतभेद होने की वजह से सचिन पायलट पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटे। उनकी जगह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में गोविंद सिंह डोटासरा की तैनाती हुई। फिर 14 जुलाई 2020 को राजस्थान में हुए राजनीतिक उठापटक के बाद उनको डिप्टी सीएम पद से हटा दिया गया।

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