मुंबई में गणेश उत्सव की धूम, ठाकरे परिवार में ‘गणेश’ मिलाप! क्या मुंबई में बनेगी नई सियासी समीकरण?

राष्ट्रीय जजमेंट 

मुंबई का पसंदीदा गणेश चतुर्थी उत्सव आखिरकार आ ही गया। भगवान गणेश के जन्मोत्सव का यह उत्सव बुधवार को गणेश चतुर्थी से 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाएगा। लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल, मुंबई की सबसे लोकप्रिय गणेश प्रतिमाओं में से एक है। यह पंडाल हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। 1934 में स्थापित, लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल बड़ी श्रद्धा के साथ इस उत्सव का आयोजन करता है। इसके अलावा मुंबई में गणेश उत्सव के दौरान बृहस्पतिवार रात तक करीब 30,000 गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने यह जानकारी दी। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि 10 दिवसीय उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणेश स्थापना के डेढ़ दिन, पांच दिन और सात दिन बाद मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के दौरान शहर में अब तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। बीएमसी अधिकारी ने बताया, ‘‘उत्सव के दूसरे दिन बृहस्पतिवार रात नौ बजे तक ‘डेढ़ दिन’ के गणपति की कुल 29,965 प्रतिमाओं का विसर्जन समुद्र, अन्य जलाशयों और कृत्रिम तालाबों में किया गया। इनमें 29,614 ‘घरेलू’ गणपति प्रतिमाएं और 337 ‘सार्वजनिक’ पंडालों की प्रतिमाएं शामिल हैं।’ अधिकारी ने बताया कि अपराह्न तीन बजे तक डेढ़ दिन के गणपति की 583 प्रतिमाओं में से 55 प्रतिशत से अधिक या 326 का विसर्जन कृत्रिम जलाशयों में किया गया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष बीएमसी ने (समुद्र तट सहित) 70 प्राकृतिक जलाशयों को चिन्हित किया है तथा विसर्जन के लिए 288 कृत्रिम तालाब स्थापित किए हैं। पर्यावरण संरक्षण के उपायों के तहत, बीएमसी ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे अपनी पर्यावरण अनुकूल गणपति प्रतिमाओं को ड्रम या बाल्टियों में विसर्जित करें, जबकि ‘प्लास्टर ऑफ पेरिस’ (पीओपी) की छह फुट से कम ऊंचाई वाली मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित किया जाए।इससे पहले शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे बुधवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर अपने चचेरे भाई एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के आवास ‘शिवतीर्थ’ पहुंचे। उद्धव का राज के घर जाना राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच सुलह का एक और मजबूत संकेत देता है। बाद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी अलग से राज ठाकरे के घर पहुंचे और उन्होंने गणपति बप्पा के दर्शन किए। राज हर साल मुंबई के दादर इलाके स्थित अपने आवास पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं। शिवसेना (उबाठा) नेता उद्धव ठाकरे के साथ उनकी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य ठाकरे भी थे। करीब दो माह पूर्व दोनों भाई कई साल बाद एक ही मंच पर साथ आए थे। शिवसेना (उबाठा) ने बाद में ‘एक्स’ पर गणेश चतुर्थी के अवसर पर ठाकरे परिवार के सभी सदस्यों की एक साथ तस्वीर साझा की। उद्धव और राज चचेरे भाइयों के साथ ही मौसेरे भाई भी हैं। दोनों के पिता सगे भाई और माताएं भी सगी बहनें थीं।
एक तस्वीर में राज और उद्धव ठाकरे अपने दादा केशव तथा अपने पिता क्रमश: श्रीकांत और बाल ठाकरे की तस्वीर के पास खड़े हैं। फोटो के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि ठाकरे परिवार एक साथ है, जबकि दोनों चचेरे भाई दो दशकों से अपनी अलग राजनीतिक राह पर चलते आ रहे हैं। दोनों के बीच पिछले कुछ महीने में यह सार्वजनिक रूप से ज्ञात कम से कम तीसरी मुलाकात है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए त्रि-फॉर्मूले से संबंधित सरकारी आदेश को राज्य में ‘‘हिंदी थोपने’’ के आरोपों के बीच वापस लेने के बाद दोनों ने पांच जुलाई को अपनी ‘‘जीत’’ का जश्न मनाने के लिए एक साथ मंच साझा किया था। राज पिछले महीने उद्धव को उनके जन्मदिन की शुभकामना देने के लिए बांद्रा स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ गए थे। राज ठाकरे ने 2005 में अविभाजित शिवसेना छोड़ दी थी और इसके लिए उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन लगता है कि 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (उबाठा) और मनसे की करारी हार ने दोनों प्रतिद्वंद्वी चचेरे भाइयों को राजनीतिक अस्तित्व के लिए हाथ मिलाने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। दोनों दलों ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका समेत राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए गठबंधन बनाने के पर्याप्त संकेत दिए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक औपचारिक गठबंधन की घोषणा नहीं की है। साल 2005 में अविभाजित शिवसेना छोड़ने के बाद, राज ठाकरे ने 2006 में मनसे का गठन किया, लेकिन यह पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में काफी हद तक हाशिये पर रही है। दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे 2013 में अध्यक्ष बनने के बाद से शिवसेना का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका जून 2022 में विभाजन हो गया। उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पर पहुंचे जब वह कांग्रेस और अविभाजित राकांपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।

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