अब ट्रेन यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने पर नहीं झेलनी पड़ेगी परेशानी, रेलवे ने शुरू की नयी व्यवस्था

राष्ट्रीय जजमेन्ट

नई दिल्ली: रेलवे को देश की ‘लाइफलाइन’ कहा जाता है, लेकिन सफर के दौरान अगर किसी यात्री की तबीयत बिगड़ जाए तो मदद मिलना आसान नहीं होता. इसी परेशानी को देखते हुए रेलवे अब बड़े स्टेशनों पर ‘आपातकालीन चिकित्सा कक्ष’ (Emergency Medical Room) शुरू कर रहा है. यहां 24 घंटे इलाज की सुविधा होगी. जरूरत पड़ने पर मरीज को सरकारी अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर भी भेजा जाएगा.

क्या-क्या मिलेगी सुविधाः

यहां, डॉक्टर और प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ तैनात रहेंगे. घायल रेल यात्रियों को मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा सहायता, चौबीसों घंटे आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं और एक छोटी फार्मेसी की सुविधा प्रदान की जाएगी. रेलवे अधिकारी ने बताया कि वाराणसी और लखनऊ-चारबाग में ईएमआर पहले से ही चालू हैं. अयोध्या कैंट जंक्शन और अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशनों पर भी ईएमआर शुरू किए जा रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारीः

ईटीवी भारत से बात करते हुए उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी ने कहा, “रेलवे चिकित्सा सुविधा मानदंडों के अनुसार, यात्री 139 पर कॉल, रेलमदद ऐप और ट्रेन टिकट परीक्षक (टीटीई) से संपर्क करके अधिकारियों से चिकित्सा सहायता मांग सकते हैं. अगर कोई यात्री उस स्थिति में इलाज के लिए उतरना नहीं चाहता है, तो अधिकारी उसे निकटतम जंक्शन पर ले जाते हैं, जहां चिकित्सा कर्मचारी मरीज की देखभाल करते हैं.”
उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ शशि किरण ने ईटीवी भारत को बताया कि, “प्रमुख स्टेशनों पर ईएमआर स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है. पुनर्विकास के बाद स्टेशन पर ये सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.”
विशेषज्ञों की सिफारिशेंः
रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता और सीमा का सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परीक्षण किया गया. आदेशों के अनुपालन में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई. विशेषज्ञों की समिति की सिफारिश के अनुसार, सभी रेलवे स्टेशनों और यात्री गाड़ियों में जीवनरक्षक दवाओं, उपकरणों और ऑक्सीजन सिलेंडरों से युक्त एक मेडिकल बॉक्स उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं.
रेल मंत्री ने लोकसभा में बतायाः

ट्रेन टिकट परीक्षक, ट्रेन गार्ड/अधीक्षक और स्टेशन मास्टर को प्राथमिक उपचार प्रदान करने का प्रशिक्षण दिया गया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया- “ऐसे कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से रिफ्रेशर कोर्स आयोजित किए जाते हैं और सभी रेलवे स्टेशनों पर आस-पास के अस्पतालों और डॉक्टरों की सूची उनके संपर्क नंबरों के साथ उपलब्ध है. घायल या बीमार यात्रियों को अस्पतालों या फिर डॉक्टरों के क्लीनिकों तक पहुंचाया जाता है.”

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